दिल्ली के ख्यातिप्राप्त ज्योतिषविद् पं. जयगोविन्द शास्त्री जी बता रहे हैं शंख के बारे मे
शंख की ध्वनि जहां तक जाती है, वहां तक स्तित अनेक वीमारियों के कीटाणुओं के ह्दय दहल जाते हैं व मूर्छित होकर नष्ट होने लगते हैं। डॉ जगदीश चंद्र बसु जैसे भरतीय वैज्ञानिकों ने बी इसे सही माना है। महाभारत में युद्ध के आरंभ, युद्ध के एक दिन समाप्त होने आदि मौकों पर संख-ध्वनि करने का जिक्र आया है। इसके साथ ही पूजा आरती, कथा, धार्मिक अनुष्टानों आदि के आरंभ व अंत में भी संख-द्वनि करने का विधान है। इसके पीछे धार्मिक आधार तो है ही, वैज्ञानिक रूप से भी इसकी प्रामाणिकता सिद्ध हो चुकी है। वैज्ञानिकों का मानना है कि शंख-ध्वनि के प्रभाव में सूर्य की किरणें बाधक होती हैं। अतः प्रातः व सायंकाल में जब सूर्य की किरणें निस्तेज होती हैं, तभी शंख-ध्वनि करने का विधान है। इससे आसपास का वातावरण तता पर्यावरण शुद्ध रहता है।
अर्थवेद के अनुसार शंखेन हत्वा रक्षांसि अर्थात शंक से सभी राक्षसों का नाश होता है और यजुर्वेद के अनुसार युद्ध में शत्रुओं का ह्दय दहलाने के लिए शंख फूंकने वाला व्यक्ति अपिक्षित है। यजुर्वेद में ही यह भी कहा गया है कि यस्तु शंखध्वनिं कुर्यात्पूजाकाले विशेषतः, वियुक्तः सर्वपापेन विष्णुनां सह मोदते अर्थात पूजा के समय जो व्यक्ति शंख-ध्वनि करता है, उसके सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और वह भगवान विष्णु के साथ आनंद करता है। यदि इसे वैज्ञानिक नजरिए से देखें तो पता चलता है कि शंख की ध्वनि जहां तक जाती है, वहां तक स्थित अनेक बीमारियों के कीटाणुओं के ह्दय दहल जाते हैं। और वे मूर्छित हो-होकर नष्ट होने लगते हैं। प्रख्यात वैद्य बृह्सपति देव त्रिगुणा के अनुसार प्रतिदिन शंख फूकने वाले को सांस से संबंधित बीमारियां जैसे-दमा आदि एवं फेफड़ों के रोग नहीं होते। इसके अलावा कई अन्य बीमारियों जैसे -प्लीहा व यकृत से संबंधित रोगों तथा इन्फलूएंजा आदि में शंख-ध्वनि अत्यंत लाभप्रद है।
आयुर्वेदाचार्य डॉ.विनोद वर्मा के अनुसार रूक-रूक कर बोलने व हकलाने वाले यदि नित्य शंख-जल का पन करें, तो उन्हें आश्चर्यजनक लाभ मिलेगा। दरअसल मूकता व हकलापन दूर करने के लिए शंख-जल एक महौषधि है। ब्रह्मबेर्वतपुराण के अनुसार शंख में जल भरकर देवस्थान में रखने, उससे पूजन सामग्री को धोने व इसे घर के आस-पास छिड़कने से वातावरण शुद्ध रहता है। इसके अलावा शंख में रखे जल से शालिग्राम को स्नान कराकर यदि कोई गर्भवती नित्य उसका पान करे, तो उसे कभी भी मूक बालक पैदा नहीं होता है। कई बार यह सवाल भी पूछा जाता है कि धार्मिक अनुष्टानों के बाद वहां उपस्थित लोगों पर शंख में रखा हुआ जल क्यों छिड़का जाता है? इसका जबाव यह है कि शंख में गंधक, फॉस्फोरस व कैल्सियम जैसे पदार्थ काफी मात्रा में रहते हैं. अतः शंख में जल रखकर कुछ समय तक छोड़ देने से इसमें रखा जल सुवासित व रोगाणुरहित हो जाता है।
इंडिया हल्ला बोल