Ab Bolega India!

Hindu Rituals and Science जानिये क्यों है भारतीय संस्कृति सर्वोत्तम

Indian-Wedding-Photos

Hindu Rituals and Science एक गोत्र में शादी क्यूँ नहीं?

वैज्ञानिक कारण हैं: जेनेटिक बीमारी न हो इसका एक ही इलाज है और वो है “सेपरेशन ऑफ़ जींस” (Separations of Jeans)

मतलब अपने नजदीकी रिश्तेदारो (Close Relatives) में विवाह (Marriage) नही करना चाहिए क्योकि नजदीकी रिश्तेदारों में जींस सेपरेट (विभाजन) नही हो पाता और जींस लिंकेज्ड बीमारियाँ जैसे हिमोफिलिया, कलर ब्लाईंडनेस, और एल्बोनिज्म होने की 100% दुत्व में कुल सात गोत्र होते है। एक गोत्र के लोग आपस में शादी नही कर सकते ताकि जींस सेपरेट (विभाजित) रहे आज पूरे विश्व को मानना पड़ेगा की हिन्दू धर्म ही विश्व का एकमात्र ऐसा धर्म है जो “विज्ञान पर आधारित” है।

 

इसके आलावा हिंदू परम्पराओं से जुड़े ये वैज्ञानिक तर्क
माथे पर कुमकुम/तिलक

महिलाएं एवं पुरुष माथे पर कुमकुम या तिलक (Tilak) लगाते हैं।

वैज्ञानिक तर्क- आंखों के बीच में माथे तक एक नस जाती है। कुमकुम या तिलक लगाने से उस जगह की ऊर्जा बनी रहती है। माथे पर तिलक लगाते वक्त जब अंगूठे या उंगली से प्रेशर पड़ता है, तब चेहरे की त्वचा को रक्त सप्लाई करने वाली मांसपेशी सक्रिय हो जाती है। इससे चेहरे की कोशिकाओं तक अच्छी तरह रक्त पहुंचता है।

कान छिदवाने की परम्परा

भारत में लगभग सभी धर्मों में कान छिदवाने की परम्परा है। लेकिन बहुत ही काम लोग जानते होंगे की इसके पीछे वैज्ञानिक कारण क्या है।

वैज्ञानिक तर्क
वैज्ञानिक मानते हैं कि इससे सोचने की शक्त‍ि बढ़ती है। जबकि डॉक्टरों का मानना है कि इससे बोली अच्छी होती है और कानों से होकर दिमाग (Brain) तक जाने वाली नस का रक्त संचार नियंत्रित रहता है।
जमीन पर बैठकर भोजन

भारतीय संस्कृति (Bhariya Sanskriti) के अनुसार जमीन पर बैठकर भोजन करना अच्छी बात होती है।

वैज्ञानिक तर्क

पलती मारकर बैठना एक प्रकार का योग आसन है। इस पोजीशन में बैठने से मस्त‍िष्क शांत रहता है और भोजन करते वक्त अगर दिमाग शांत हो तो पाचन क्रिया अच्छी रहती है। इस पोजीशन में बैठते ही खुद-ब-खुद दिमाग से एक सिगनल पेट तक जाता है, कि वह भोजन के लिये तैयार हो जाये।
हाथ जोड़कर नमस्ते करना

जब किसी से मिलते हैं तो हाथ जोड़कर नमस्ते अथवा नमस्कार करते हैं।

वैज्ञानिक तर्क 

जब सभी उंगलियों के शीर्ष एक दूसरे के संपर्क में आते हैं और उन पर दबाव पड़ता है। एक्यूप्रेशर (Acupressure) के कारण उसका सीधा असर हमारी आंखों, कानों और दिमाग पर होता है, ताकि सामने वाले व्यक्त‍ि को हम लंबे समय तक याद रख सकें। दूसरा तर्क यह कि हाथ मिलाने (पश्च‍िमी सभ्यता) के बजाये अगर आप नमस्ते करते हैं तो सामने वाले के शरीर के कीटाणु (Germs) आप तक नहीं पहुंच सकते। अगर सामने वाले को स्वाइन फ्लू (Swine Flu) भी है तो भी वह वायरस आप तक नहीं पहुंचेगा। 
भोजन की शुरुआत तीखे से और अंत मीठे से

जब भी कोई धार्मिक (Religious) या पारिवारिक अनुष्ठान होता है तो भोजन की शुरुआत तीखे से और अंत मीठे से होता है।

वैज्ञानिक तर्क 

तीखा खाने से हमारे पेट के अंदर पाचन तत्व एवं अम्ल सक्रिय हो जाते हैं। इससे पाचन तंत्र ठीक तरह से संचालित होता है। अंत में मीठा खाने से अम्ल (Acidity) की तीव्रता कम हो जाती है। इससे पेट में जलन नहीं होती है।
 

सूर्य को जल चढ़ाना

हिंदुओं में सुबह उठकर सूर्य को जल चढ़ाते हुए नमस्कार करने की परम्परा है। सूर्य ग्रहों के स्वामी हैं। ये पंचदेवों में एक हैं। जीवन को व्यवस्था सूर्य से ही मिलती है। पुराणों में सूर्य की उपासना को सभी रोगों को दूर करने वाला बताया गया है।

वैज्ञानिक तर्क 

पानी के बीच से आने वाली सूर्य की किरणें (Rays of Sun) जब आंखों में पहुंचती हैं, तब हमारी आंखों की रौशनी (Eye Sight) अच्छी होती है। जल से छनकर जब सूर्य की किरणें शरीर पर पड़ती हैं तो शरीर में ऊर्जा का संचार होता है। इससे शरीर में रोग से लड़ने की शक्ति बढ़ती है साथ ही आस-पास सकारात्मक उर्जा का संचार होता है जो जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है।
पीपल की पूजा

पीपल हिन्दू धर्म का पूज्य वृ़क्ष माना जाता है। जैसे देवताओं में अनेक गुण होते हैं वैसे ही पीपल का वृक्ष भी गुणों की खान है इसलिए पीपल वृक्ष की पूजा वैसे ही होती है जैसे किसी देवता की। अथर्ववेद के उपवेद आयुर्वेद में पीपल के औषधीय गुणों का अनेक असाध्य रोगों में उपयोग वर्णित है। औषधीय गुणों के कारण पीपल के वृक्ष को ‘कल्पवृक्ष’ की संज्ञा दी गई है। पीपल के वृक्ष में जड़ से लेकर पत्तियों तक तैंतीस कोटि देवताओं का वास होता है और इसलिए पीपल का वृक्ष प्रात: पूजनीय माना गया है। 

वैज्ञानिक तर्क– इसकी पूजा इसलिये की जाती है, ताकि इस पेड़ के प्रति लोगों का सम्मान बढ़े और उसे काटें नहीं। पीपल एक मात्र ऐसा पेड़ है, जो रात में भी ऑक्सीजन (Oxygen) प्रवाहित करता है।
दक्ष‍िण की तरफ सिर करके सोना

दक्ष‍िण की तरफ कोई पैर करके सोता है, तो लोग कहते हैं कि बुरे सपने आयेंगे, भूत प्रेत का साया आ जायेगा, आदि। इसलिये उत्तर की ओर पैर करके सोयें।

वैज्ञानिक तर्क– जब हम उत्तर की ओर सिर करके सोते हैं, तब हमारा शरीर पृथ्वी की चुंबकीय तरंगों (Magnetic Waves) की सीध में आ जाता है। शरीर में मौजूद आयरन यानी लोहा दिमाग की ओर संचारित होने लगता है। इससे अलजाइमर, परकिंसन, या दिमाग संबंधी बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है। यही नहीं रक्तचाप भी बढ़ जाता है।

चरण स्पर्श करना

हिंदू मान्यता के अनुसार जब भी आप किसी बड़े से मिलें, तो उसके चरण स्पर्श करें। यह हम बच्चों को भी सिखाते हैं, ताकि वे बड़ों का आदर करें।

वैज्ञानिक तर्क– मस्त‍िष्क से निकलने वाली ऊर्जा हाथों और सामने वाले पैरों से होते हुए एक चक्र पूरा करती है। इसे कॉसमिक एनर्जी का प्रवाह कहते हैं। इसमें दो प्रकार से ऊर्जा का प्रवाह होता है, या तो बड़े के पैरों से होते हुए छोटे के हाथों तक या फिर छोटे के हाथों से बड़ों के पैरों तक।

Exit mobile version