Biography of Harivansh Rai Bachchan । हरिवंश राय बच्चन की जीवनी

उर्दू कवियों ने वाइज़ और बज़ा, मस्जिद और मज़हब, क़यामत और उक़वा की परवाह न करके दुनिया-ए-रंगों-बू को निकटता से, बार-बार देखने, उसका आस्वादन करने का आमंत्रण दिया है। ख़्याम ने वर्तमान क्षण को जानने, मानने, अपनाने और भली प्रकार इस्तेमाल करने की सीख दी है, और बच्चन के हालावाद का जीवन-दर्शन भी यही है।

यह पलायनवाद नहीं है, क्योंकि इसमें वास्तविकता का अस्वीकरण नहीं है, न उससे भागने की परिकल्पना है, प्रत्युत्त वास्तविकता की शुष्कता को अपनी मनस्तरंग से सींचकर हरी-भरी बना देने की सशक्त प्रेरणा है। यह सत्य है कि बच्चन की इन कविताओं में रूमानियत और क़सक़ है, पर हालावाद ग़म ग़लत करने का निमंत्रण है; ग़म से घबराकर ख़ुदक़शी करने का नहीं।

अपने जीवन की इस मंज़िल में बच्चन अपने युवाकाल के आदर्शों और स्वप्नों के भग्नावशेषों के बीच से गुज़र रहे थे। पढ़ाई छोड़कर राष्ट्रीय आंदोलन में क़ूद पड़े थे। अब उस आंदोलन की विफलता का कड़वा घूँट पी रहे थे। एक छोटे से स्कूल में अध्यापक की नौकरी करते हुए वास्तविकता और आदर्श के बीच की गहरी खाई में डूब रहे थे।

Check Also

शहीद उधम सिंह जीवनी

सरदार उधम सिंह का जन्म 26 दिसम्बर 1899 को एक सिख परिवार में पंजाब राज्य …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *