पप्पू की शैतानियों से तंग आकर गणपत ने उसे हॉस्टल में भेजने का फैसला किया। वे पप्पू का सामान बांधकर उसे हॉस्टल छोड़ आए।
अभी हॉस्टल में पप्पू का केवल एक हफ्ता भी नहीं गुजरा था कि उसके हॉस्टल से उसके वार्डन का फोन आ गया। वार्डन बोला, “जी क्या मैं पप्पू के पिताजी से बात कर सकता हूं?”
गणपत: “जी हां, कहिए मैं बोल रहा हूं।”
वार्डन: “जी आपके बेटे पप्पू ने अपनी शैतानियों से सारे हॉस्टल की नाक में दम कर रखा है।
वार्डन की बात सुनकर गणपत तुरंत बोला, “अरे जी वाह। आपने तो एक हफ्ते में ही फोन कर दिया। हम भी तो इतने सालों से उसे पाल रहे हैं। हमने तो कभी किसी से शिकायत नहीं की।”