पठान अपनी बैलगाडी में अनाज के बोरे लादकर शहर ले जा रहा था। अभी गाँव से निकला ही था कि एक खड्डे में उसकी गाड़ी पलट गई। पठान गाड़ी को सीधी करने की कोशिश करने लगा। थोड़ी ही दूर पर एक पेड़ के नीचे बैठे एक राहगीर ने यह देखकर आवाज़ दी, “अरे भाई, परेशान मत हो, आ जाओ मेरे साथ पहले खाना खा लो फिर मैं तुम्हारी गाड़ी सीधी करवा दूंगा।”
पठान: धन्यवाद, पर मैं अभी नहीं आ सकता। मेरा दोस्त बशीर नाराज़ हो जायेगा।
राहगीर: अरे तुझसे अकेले नहीं उठेगी गाड़ी। तू आजा खाना खा ले फिर हम दोनों उठाएंगे।
पठान: नहीं, बशीर बहुत गुस्सा हो जायेगा।
राहगीर: अरे मान भी जाओ। आ जाओ तुम मेरे पास।
पठान: ठीक है आप कहते हैं तो आ जाता हूँ।
पठान ने जमकर खाना खाया फिर बोला, “अब मैं चलता हूँ गाड़ी के पास और आप भी चलिए। बशीर गुस्सा हो रहा होगा।”
राहगीर ने मुस्कुराते हुए कहा, “चलो पर तुम इतना डर क्यों रहे हो? वैसे अभी कहाँ होगा बशीर?”
पठान: गाड़ी के नीचे।