चमन : घर में शासन कैसे चलाएं, नामक पुस्तक से तुम्हें कुछ फायदा हुआ?
गणपत : नहीं यार।
चमन : क्यों?
गणपत : पत्नी ने मुझे कभी किताब पढ़ने ही नहीं दी।
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सेवकराम ने कपड़े की नई दुकान खोली थी। उसने रात में एक सपना देखा कि एक ग्राहक दस मीटर कपड़ा मांग रहा है। खुश होकर उसने थान
से कपड़ा फाड़ना शुरू किया। तभी पत्नी जाग गई और चिल्लाई, ‘अरे चादर क्यों फाड़ रहे हो?’
सेवकराम नींद में बुदबुदाया, ‘कमबख्त, दुकान में भी पीछा नहीं छोड़ती।’