एक पत्नी अपने पति के घर आने के बाद ही खाना खाती थी।
इस वजह से मोहल्ले की सारी महिलाएं उसका बड़ा सम्मान करती थीं। कहती थीं, ‘तुम महान हो। पतिव्रता हो। देवी हो। साध्वी हो। भारतीय संस्कृति की पुजारिन हो। हमारी प्रेरणा हो। इस कलियुग में आदर्श नारी हो।’
आखिर एक दिन एक महिला ने उससे पूछ ही लिया, ‘आप इतनी तपस्या कर कैसे लेती हैं?’
वह बोली, ‘मजबूरी है। मेरे पति आते हैं और खाना बनाते हैं। तभी तो खाती हूं!’