एक छोरा नया नया ब्याहा था, पहली बार ससुराल गया।
उसनै घणा बोलण की आदत थी, चुपचाप ना रहया जाया करता। उसकी सासू भी कुछ कम ना थी, सारा दिन फिजूल की बात करती रही।
सांझ नै सास परेशान होगी, छोरा तै उसतैं भी घणा बोलै था। वा आपणे उस बटेऊ तैं बोली, “बेटा, सुसराड़ में घणा ना बोल्या करते।”
छोरे नै फट जवाब दिया, “तू के आपणी बूआ कै आ रही सै? तेरी भी तै ससुराड़ सै!!”