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हरियाणे का भी रिवाज न्यारा है!

हरियाणे का भी रिवाज न्यारा है।
उल्टे सीधे नाम निकालने का भी स्वाद न्यारा है;

किसी कमजोर को पहलवान कहण का,
दूसरे की गर्ल फ्रैंड को सामान कहण का स्वाद न्यारा है;

पहलवान को माडू कहण का,
और फलों में आडू कहण का।स्वाद न्यारा है;

एक अन्धे को सूरदास कहण का,
किसी लुगाई न गंडाश कहण का स्वाद न्यारा है।

चादर को दुशाला कहण का,
लंगड़े को चौटाला कहण का स्वाद न्यारा है।

सब्जी को साग कहण का,
और काले को नाग कहण का स्वाद न्यारा है।

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