हम अपने घरों की दीवारों के रंग के बारे में घंटों सोचते हैं कि कौन सा रंग हमारे मूड के लिए सही रहेगा।डॉक्टर भी सर्जरी के दौरान सफ़ेद रंग के कपड़ों, पट्टी और बैंडेज का इस्तेमाल करते हैं ताकि एक सफ़ाई का भाव जगे। फॉस्ट फूड की दुकानें चमकीले रंगों की होती हैं- लाल या फिर पीले। और कुछ जेल की कोठरियों की दीवारें गुलाबी होती हैं ताकि क़ैदी को ज़्यादा ग़ुस्सा नहीं आए।
ऐसा लगता है कि हम ये जानते हैं कि कौन सा रंग क्या काम करता है। मोटे तौर पर लगता है कि लाल रंग हमें एक दम चौंकाता है जबकि नीला रंग हमें शांत रखता है। कई तो इसे तथ्य भी मानते हैं लेकिन सवाल ये है कि क्या रंग हमारे मूड को उसी तरह बदलते हैं जैसा हम जानते हैं।
वैज्ञानिक शोध के नतीजे मिश्रित हैं और कई बार पहले की अवधारणाओं को चुनौती देते हैं। लाल रंग के बारे में सबसे ज़्यादा अध्ययन हुआ है, इसकी तुलना ज़्यादातर नीले या फिर हरे रंग से की जाती है।कुछ अध्ययन बताते हैं कि लाल रंग का सामना करने पड़ लोग अपने काम को नीले या फिर हरे रंग की तुलना में बेहतर ढंग से अंजाम देते हैं। हालांकि कुछ अध्ययन में इसके ठीक विपरीत नतीजे भी मिले हैं।