* जी हाँ …! कुछ लोग खान-पान के कारण या गलत आदतों से अपने शरीर को कमजोर कर चुके है उनके लिए एक ये उत्तम योग है बनाये खाए और आनंद की अनुभूति करे ..
* एक साधारण सी लगने वाली उरद की दाल आपके जीवन को परिवर्तित कर सकती है आवश्यकता है आपको समझने की ..पहले के राजा महराजा इस प्रकार के कई प्रकार के मोदक बना के प्रयोग में लेते थे और अपनी सभी रानियों को संतुस्ट रखते थे .
* तो आप क्यों नहीं आजमाते है लेकिन ध्यान रहे नियमित कुछ दिन अवश्य खाए तभी संभव होगा .
भीगी उरद दाल से बने लड्डू बनाये :-
आवश्यक सामग्री:-
उरद दाल – 400 ग्राम
घी – 400 ग्राम
बूरा या पिसी मिश्री – 300 – 400 ग्राम
काजू, किशमिश, बादाम – 100 ग्राम(सभी मिला कर वजन )
पिस्ते – एक टेबल स्पून (लगभग दस ग्राम )
छोटी इलाइची – 10 नग
बनाने की विधि:-
* उरद दाल को साफ कीजिये, धोइये और 3-4 घंटे के लिये पीने के पानी में भिगो दीजिये. दाल से अतिरिक्त पानी निकालिये और दाल को हल्का मोटा पीस लीजिये.अब कढ़ाई में आधा घी डालिये और दाल को लगातार चमचे से चलाते हुये भूनिये, बचा हुआ घी पिघला कर रखिये और चमचे से थोड़ा थोड़ा डाल कर दाल को चमचे से चलाते हुये लगातार ब्राउन होने तक भून लीजिये.और काजू, बादाम को छोटा छोटा काट लीजिये, किशमिश को डंठल तोड़ कर साफ कर लीजिये, पिस्ते को बारीक कतर लीजिये. इलाइची छील कर कूट लीजिये.फिर भुनी हुई दाल में बूरा, मेवा और इलाइची डाल कर अच्छी तरह मिला लीजिये. लड्डू बनाने के लिये मिश्रण तैयार है.
बनाने की विधि :-
* सबसे पहले कढ़ाई में आधा घी डाल कर दाल भूनिये और दाल हल्का गुलाबी होने पर बचा हुआ घी थोड़ा करके डालिये और ब्राउन होने तक चमचे से लगातार चलाते हुये दाल को भूनते रहिये.इसके बाद काजू, बादाम को छोटा छोटा काट लीजिये, किशमिश को डंठल तोड़ कर साफ कर लीजिये, फिर पिस्ते को बारीक -बारीक कतर लीजिये. इलाइची छील कर कूट लीजिये.
* अब आप भुनी हुई दाल में बूरा, मेवा और इलाइची डाल कर अच्छी तरह मिला लीजिये. लड्डू बनाने के लिये मिश्रण तैयार है. मिश्रण को थोड़ा थोड़ा हाथ में लीजिये और दबा दबा कर अपने मन पसन्द आकार के लड्डू बना कर थाली में रखिये. सारे मिश्रण से लड्डू बना कर थाली में रख लीजिये. उरद दाल के लड्डू तैयार हैं. लड्डू को एअर टाइट कन्टेनर में भर कर रख लीजिये और महिने से भी ज्यादा दिनों तक लड्डू कन्टेनर से निकाल कर खाइये.
* एक लड्डू सुबह -सुबह खा कर एक गिलास दूध का सेवन करने से कमजोरी जाती रहती है इससे नामर्दी नपुंसकता ,स्वप्नदोष जेसी बीमारियों में लाभ मिलता है .