HOMEMADE REMEDIES FOR TONSILS (GILTIAAN) । टांसिल (गिल्टियों) के घरेलु उपचार के बारे में जानिए

HOMEMADE REMEDIES FOR TONSILS :- टांसिल गले की बीमारी है। गले के नीचे के तलवे वाले भाग में दो गांठे होती हैं और जब इन गांठों में से कोई एक या दोनों गाठें फूल जाती हैं तब खाना खाने और पानी पीने में काफी दिक्कत होने लगती है। यह बीमारी खाने में आयोडीन की कमी की वजह से होती है। टान्सिल के दर्द से रोगी को बेहद परेशानी होती है और घबराहट, दर्द, बोल चाल न कर पाना, सही तरह से खाना न खा पाना आदि लक्षण होते हैं।

यह एक गंभीर रोग है। जिसका सटीक इलाज आयुर्वेद में है।गले के प्रवेश द्वार के दोनों ओर मांस की एक-एक गांठ होती है| यह बिलकुल लसीका ग्रंथि की तरह होती है| इसी को टांसिल कहते हैं| इस रोग के कारण खाने-पीने में बड़ी तकलीफ होती है| यहां तक की थूक को निगलने में भी कष्ट होता है|गले पर कपड़ा तक सहन नहीं होता| यदि कोई व्यक्ति रोगी को जूठा भोजन-पानी आदि का सेवन कर ले तो उसे भी टांसिल हो सकता है|

टांसिल (गिल्टियां) का कारण :- टांसिल सूजने या बढ़ने का मुख्य कारण गरिष्ठ पदार्थों जैसे-मैदा, चावल, आलू, मिठाइयां, उरद की दाल, चीनी आदि का अधिक सेवन करना है| अधिक खट्टी चीजें तथा अम्लीय पदार्थ खाने से भी टांसिल बढ़ जाते हैं| इन चीजों में अम्लीयता का अंश अधिक होने से पेट में कब्ज हो जाता है तथा वायु बढ़ जाती है|

इससे टांसिल में विषैला विकार उत्पन्न हो जाता है| गले और शरीर में ठंड लगने के कारण भी टांसिल बढ़ जाते हैं| शरीर में खून की अधिकता, मौसम में अचानक परिवर्तन, गरमी-सर्दी का बुखार, दूषित पर्यावरण में निवास तथा बासी भोजन करने के कारण भी टांसिल हो जाता है|

टांसिल (गिल्टियां) की पहचान :- टांसिल बढ़ जाने पर गले में सूजन आ जाती है| गले तथा गलपटों में बार-बार दर्द की लहर दौड़ती है| जीभ पर मैल जम जाती है तथा दुर्गंध भरी श्वास बाहर निकलती है| सिर एवं गरदन में दर्द शुरू हो जाता है| गरदन के दोनों तरफ लसिका ग्रंथियां बढ़ जाती हैं| यदि उन पर उंगली रखी जाए तो दर्द होता है| सांस लेने में भी कठिनाई होती है| सारे शरीर में दर्द, स्वर भंग, व्याकुलता, आलस्य आदि के लक्षण साफ-साफ दिखाई देते हैं| गलपटे सूजते ही ठंड लगती है और बुखार आ जाता है|

टांसिल (गिल्टियां) के घरेलु नुस्खे इस प्रकार हैं:- गरम पानी और सेंधा नमक :- गरम पानी में दो चुटकी सेंधा नमक डालकर अच्छी तरह मिला लें| फिर उस पानी से दिनभर में तीन-चार बार कुल्ला करें|

फिटकिरी और अजवायन :- फिटकिरी का चूर्ण तथा अजवायन का चूर्ण – दोनों को पानी में घोलकर गाढ़ा-गाढ़ा लेप गले के बाहर करें|

रुई :- गले के भीतर रुई की फुरेरी से ग्लिसरीन लगाएं|

गरम पानी :- गरम पानी में थोड़ी-सी चायपत्ती डालकर छान लें| फिर इस पानी से दिन में तीन बार गरारे करें|

फिटकिरी, माजूफल, शहद और पानी :- लाल फिटकिरी तथा माजूफल – दोनों 10-10 ग्राम लेकर एक कप पानी में उबाल लें| जब पानी आधा कप रह जाए तो छानकर उसमें एक चम्मच शुद्ध शहद डालें| इसे रुई की फुरेरी से टांसिल में लगाएं|

दालचीनी और शहद :- दालचीनी को पीसकर उसमें थोड़ा शहद मिला लें| फिर इसे टांसिल पर लगाएं| लार नीचे टपका दें|

तुलसी और शहद :- आधा चम्मच तुलसी की मंजरी को शहद में मिलाकर सुबह-शाम चाटने से टांसिल सूख जाते हैं|

तुलसी और लौंग :- तुलसी के चार-पांच पत्ते तथा दो लौंग पानी में डालकर उबालें| फिर छानकर इस पानी में गरारे करें|

पानी, अदरक और हल्दी :- सादे पानी में अदरक का रस तथा पिसी हुई हल्दी डालकर रात को सोते समय सेवन करें|

पान, मुलहठी और लौंग :- पान का पत्ता, आधा चम्मच मुलहठी का चूर्ण, दो लौंग तथा 4-5 दाने पीपरमेंट-इन सबको एक कप पानी में औटाकर काढ़ा बनाकर पिएं|

पीपल :- पीपल के पेड़ के हरे पत्तों का दूध एक चम्मच निकालकर गरम पानी में घोल लें| फिर इस पानी से गरारे करें|

गरम पानी और शहतूत :- गरम पानी में दो चम्मच शहतूत के पत्तों का रस डालकर गरारे करें|

टांसिल (गिल्टियां) में क्या खाएं क्या नहीं :¬ टांसिल के बढ़ने पर गरम खाना, मिर्च-मसाले के पदार्थ, तेल, खटाई और अम्लीय पदार्थों का सेवन न करें| इसकी जगह सादी रोटी तथा हरी सब्जियां (लौकी, तरोई, परवल, टिण्डे आदि) खाएं| साबूदाना, खिचड़ी और दलिया इस रोग में बहुत लाभकारी सिद्ध हुई है|

फलो में मौसमी, नीबू, अनन्नास, अमरूद, पपीता एवं चीकू लिया जा सकता है| आंवला, धनिया तथा पुदीने की चटनी बहुत फायदेमंद है| मूली, गाजर और शलजम न खाएं| इसी प्रकार घी, तेल तथा तली हुई चीजें भी टांसिल में हानि पहुंचती हैं|

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