HOMEMADE REMEDIES FOR MISCELLANEOUS । आंखों में विविध रोग के घरेलू उपचार के बारे में जानिए

HOMEMADE REMEDIES FOR MISCELLANEOUS :- आँख में होने वाला इंफेक्शन, गंदे हाथों से आँख को मसलने से, प्रदूषण से, किसी दूसरे के द्वारा इस्तेमाल किए गए काजल लगाने या चश्मा पहनने से तथा आंखों की अच्छी प्रकार सफाई न करने से होता है। आज के समय में ज्यादातर लोगों को ये शिकायत है कि उनकी आंखों में हर समय चुभन बनी रहती है. दरअसल, ऐसा होने की प्रमुख वजह हमारी लाइफस्टाइल ही है.

दिन के 8 से 10 घंटे हम कंप्यूटर स्क्रीन पर बैठकर बिताते हैं. इसका नतीजा ये होता है कि हमारी आंखों को पूरा आराम नहीं मिल पाता है. एक ओर आंखों को रेस्ट नहीं मिलता और स्ट्रेस बना रहता है वहीं दूसरी ओर हमारी डाइट में भी ऐसा कुछ नहीं होता है जिससे आंखों को पोषण मिल सके.आंखों में विविध रोगों को दूर करने के लिए निम्नांकित नुस्खे बहुत लाभकारी सिद्ध हुए हैं|

आंखों में विविध रोग के घरेलु नुस्खे इस प्रकार हैं:- त्रिफला :- त्रिफला के काढ़े से आंखों को धोना चाहिए| इससे सभी प्रकार के नेत्र रोग दूर हो जाते हैं|

केसर और शहद :- केसर को शहद में घोटकर आंखों में सलाई से लगाएं|

सेंधा नमक, लोध और घी :- सेंधा नमक 5 ग्राम तथा लोध 10 ग्राम – दोनों को आग में जला लें| अब उसे महीन पीसकर शहद या देशी घी में मिलाएं| यह लेप पलकों पर लगाने से हर प्रकार का नेत्र रोग चला जाता है|

दूध :- दुद्धी का दूध आंखों में लगाने से नेत्रों की ज्योति बढ़ती है|

अर्क :- मुण्डी का अर्क प्रतिदिन लगभग 5 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से चश्मा छूट जाता है|

सिरस, मींग और खिरनी :- सिरस के बीजों की मींग और खिरनी के बीज-दोनों को बराबर की मात्रा में लेकर महीन चूर्ण बना लें| फिर इस चूर्ण को सलाई से अंजन की तरह नित्य आंखों में लगाएं|

गाजर :- गाजर का छिलका खूब महीन पीस लें| फिर इसे आंखों में लगाएं|

दूध :- माता के दूध में रसौत घिसकर लगाने से आंखों के सभी रोग दूर होते हैं|

कपूर और शहद :– कपूर को शहद में मिलाकर पलकों पर लेप करने से नेत्रों की सभी बीमारियां जाती रहती हैं|

पुनर्नवा :- सफेद पुनर्नवा की जड़ को अच्छी तरह धोकर घी में घिस लें| फिर उसे आंखों में लगाएं|

प्याज और शहद :- प्याज के रस में शहद मिलाकर बूंद-बूंद दोनों आंखों में डालें|

आंखों में विविध रोग में क्या खाएं क्यां नहीं :- सभी प्रकार के आंखों के रोगों में हल्के, पौष्टिक तथा सुपाच्य पदार्थ खाना चाहिए| परन्तु क्रोध, शोक, मैथुन, पत्तों का साग, तरबूज, मछली, शराब, चटपटे, खट्टे तथा जलन पैदा करने वाले पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए| इसके साथ-साथ धूप या अधिक ठंड वाले स्थानों में नहीं घूमना चाहिए| रात को देर तक जागना या पढ़ना भी ठीक नहीं है|

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