HOMEMADE REMEDIES FOR MALARIAL FEVER । मलेरिया ज्वर के घरेलू उपचार के बारे में जानिए

HOMEMADE REMEDIES FOR MALARIAL FEVER :- मलेरिया एक ऐसी बीमारी है, जो परजीवी रोगाणु की वजह से होती है। ये रोगाणु इतने छोटे होते हैं कि हम इन्हें देख नहीं सकते। मलेरिया के लक्षण हैं बुखार, कँपकँपी, पसीना आना, सिरदर्द, शरीर में दर्द, जी मचलना और उल्टी होना। कभी-कभी इसके लक्षण हर 48 से 72 घंटे में दोबारा दिखायी देते हैं।

यह इस बात पर निर्भर करता है कि एक व्यक्‍ति को कौन-से परजीवी की वजह से मलेरिया हुआ है और वह कब से बीमार है। मलेरिया ज्वर में जाड़ा लगने के साथ तेज बुखार चढ़ता है| इसमें प्रतिदिन या हर तीसरे-चौथे दिन भी बुखार आ सकता है| यह एक संक्रामक बीमारी मानी जाती है जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को हो जाती है|

मलेरिया ज्वर का कारण :- यह ज्वर वर्ष ऋतू में पानी से भरे गड्ढों में मच्छरों के बैठने के कारण फैलता है| एनोफेलीज मादा मच्छर मलेरिया के रोगी को काटता है| इसके बाद परजीवी मच्छर जब किसी दूसरे व्यक्ति को काटते हैं तो वह स्वस्थ व्यक्ति रोगग्रस्त हो जाता है|

मलेरिया ज्वर की पहचान :- इस रोग में सिर दर्द, जी मिचलाना, उल्टी होना, सर्दी लगकर तेज बुखार चढ़ना और बुखार उतरते समय पसीना आना लक्षण पार्ट होते हैं| मलेरिया रोग गलत खान-पान और दोषपूर्ण जीवन-शैली के कारण होता है| ऐसे में शरीर के विकार बाहर नहीं निकल पाते| जब शरीर इन विकारों को सामान्य रीति से नहीं निकाल पाता तो बुखार और पसीने द्वारा उन्हें बाहर निकालता है|

मलेरिया ज्वर के घरेलु नुस्खे इस प्रकार हैं :- तुलसी, कालीमिर्च, दूध और करंज :- तुलसी के चार पत्ते, करंज की गिरी 3 ग्राम और कालीमिर्च – तीनों को पीसकर सुबह-शाम दूध में सेवन करें|

नीबू, सेंधा नमक और कालीमिर्च :- नीबू में जरा-सा सेंधा नमक और जरा-सा कालीमिर्च का चूर्ण लगाकर गरम करके धीरे-धीरे चूसें| इससे बुखार की गरमी शान्त हो जाती है|

तुलसी, कालीमिर्च और शहद :- तुलसी के पत्तों का रस एक चम्मच, चार कालीमिर्च का चूर्ण तथा थोड़ा सा शहद मिलाकर सेवन करें|

तुलसी, नीम और नीबू :- तुलसी, नीम की कोंपले तथा नीबू का रस – तीनों को मिलाकर रोगी को देने से मलेरिया बुखार में काफी लाभ होता है|

लाल मिर्च और पानी :- लाल मिर्च पानी में घोलकर गाढ़ी चटनी की तरह बना लें| फिर इस मिर्च की पोटली बनाकर स्त्री की बाईं तथा पुरुष की दाईं बांह (भुजा) में बांध दें| इससे मलेरिया का बुखार उतर जाएगा|

फिटकिरी, मिश्री, दूध और पानी :- 1 ग्राम फूली हुई फिटकिरी, 2 ग्राम मिश्री और 10 ग्राम चीनी-तीनों को मिलाकर दूध या पानी के साथ सेवन करें|

चिरायता और संतरा :- चिरायता तथा संतरे का रस – दोनों 10-10 ग्राम लेकर रोगी को सुबह शाम पिलाएं|

हरड़, शक्कर और पानी :- 10 ग्राम हरड़ का चूर्ण एक कप पानी में मिलाकर काढ़ा बनाएं| जब पानी आधा कप रह जाए तो उसमें जरा-सी शक्कर डालकर चार खुराक करें| इसे दिनभर में चार बार पिलाएं| मलेरिया सिर पर पैर रखकर भाग जाएगा|

जामुन और गुड़ :- जामुन के पेड़ की छाल 5 ग्राम लेकर पीस डालें| फिर उसमें जरा-सा गुड़ मिलाकर सेवन करें|

प्याज और कालीमिर्च :- एक चम्मच प्याज के रस में दो-तीन कलीमिर्चों का चूर्ण मिलाकर नित्य सेवन करें|

नीम, कालीमिर्च और नमक :- नीम की थोड़ी-सी कोंपलों में चार-पांच कालीमिर्च और जरा-सा नमक मिलाकर चटनी बना लें| इसका सेवन सुबह-शाम करें|

तुलसी और कालीमिर्च :- तुलसी के पत्ते और कालीमिर्च सुबह-शाम कुचलकर खाने से मलेरिया बुखार नहीं चढ़ता|

लहसुन :- मलेरिया बुखार चढ़ने के समय से पहले लहसुन का रस हाथ-पैर के नाखूनों पर लगा लें|

अमरूद :- अमरूद को भूमल में भूनकर खाने से मलेरिया का रोग चला जाता है|

नारंगी और पानी :- नारंगी के छिलकों को पानी में उबालकर केवल पानी पी जाएं|

मलेरिया ज्वर में क्या खाएं क्या नहीं :- मलेरिया बुखार में रोगी को आलूबुखारा, चीकू, संतरा, अंगूर, चकोतरा, मौसमी, अनार, प्याज, पुदीना एवं साबूदाना आदि देना चाहिए| अधिक तेज बुखार होने पर ठंडे पानी की पट्टी मरीज के पूरे शरीर पर बार-बार रखनी चाहिए| इसके अलावा लौकी के गोल कटे हुए टुकड़ों से हथेलियों और तलवों को भी मला जा सकता है|

मलेरिया ज्वर की कुछ सावधानियां :- गड्ढों, नालियों तथा पोखरों के आसपास पानी इकट्ठा न होने दें क्योंकि मच्छर इन्हीं स्थानों पर अण्डे देते हैं|सीलन भरे स्थानों तथा नालियों पर डी.डी.टी., मिट्टी का तेल, बी. एच. सी., तम्बाकू का घोल आदि छिड़कना चाहिए ताकि मच्छर नष्ट हो जाएं|

बच्चों को निर्देश दें कि वे इधर-उधर न थूकें, मुंह में उंगली न डालें, खेल के बाद हाथों को साबुन से धोएं तथा नाली में गिरी गेंद निकालने के बाद साफ पानी से धोकर खेलें|पानी सदा उबालकर पिएं| फलों, सब्जियों तथा तरकारियों को अच्छे पानी से धोकर उपयोग में लाएं|खुली चीजों का सेवन न करें|

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