HOMEMADE REMEDIES FOR JAUNDICE :- पीलिया लीवर से सम्बंधित रोग है, इस रोग में रोगी की आँखे पीली पड़ जाती हैं, पेशाब का रंग पीला हो जाता है, अधिक तीव्रता होने पर पेशाब का रंग और भी खराब हो जाता है, पीलिया दिखने में बहुत साधारण सी बीमारी लगती है, मगर इसका सही समय पर इलाज ना हो तो ये बहुत भयंकर परिणाम दे सकती है, रोगी की जान तक जा सकती है इसमें।
आज हम आपको इस जानलेवा बीमारी का एक ऐसा रामबाण उपचार बता रहे हैं जो आपकी बरसों से चलती आ रही इस बीमारी को भी ज्यादा से ज्यादा 3-4 दिन में बिलकुल सही कर देगी। ये उपचार पीलिया चाहे वो हेपेटाइटिस A, B या C हो या फिर बिलरुबिन या ESR भी बढ़ा हुआ हो तो भी ये बहुत कारगर है। पीलिया रोग में शरीर के सभी अवयवों में पीलापन आ जाता है|
यह रोग अत्यधिक संभोग, खट्टे पदार्थों के सेवन, अधिक शराब पीने, मिट्टी खाने, दिन में अधिक सोने तथा अत्यधिक तेज पदार्थ, जैसे – राई आदि का सेवन करने से उत्पन्न होता है| पीलिया के रोगी का इलाज करने से पूर्व उसे कोई दस्तावर दवा खिलानी चाहिए| दस्तों द्वारा पेट साफ होने के बाद उपचार हितकर होता है| पीलिया होने से पहले मन में खिन्नता होती है|
छाती में बाईं ओर हृदय की धड़कन बढ़ जाती है| शरीर की कांति रूखी हो जाती है| भोजन करने का मन नहीं करता| खाया भोजन नहीं पचता| पसीना आना बंद हो जाता है| आंखों में पीलापन छा जाता है| खाल फटने लगती है| पेशान पीला आने लगता है| शरीर थका-थका सा रहने लगता है| मुंह का स्वाद खराब हो जाता है तथा शरीर में जगह-जगह सूजन हो जाती है|
पीलिया का कारण :- जब यकृत (जिगर) में से निकलने वाली पित्तवाहिनी के विशेष स्थान पर रुकावट पैदा होती है तो पित्त पित्ताशय में न जाकर खून में मिल जाता है| ऐसी हालत में पीलिया हो जाता है| जो लोग अधिक मात्रा में खट्टी, चटपटी, गरम तथा पित्त को बढ़ाने वाली चीजें खाते हैं, उनके पेट में जिगर की अग्नि बिगड़ जाती है| फलस्वरूप शरीर में पित्त बढ़ जाता है जो इस रोग को जन्म देता है|
पीलिया की पहचान :- जिगर की खराबी से बुखार, चक्कर आना, आंखों में पीलापन, शरीर का पीलापन आदि साफ मालूम पड़ने लगता है| आंखों के सामने थोड़ी – थोड़ी देर बाद अंधेरा छा जाना, पेशाब पीला आना, जीभ पर कांटे से उभर आना, भूख न लगना, पेट में दर्द रहना, शरीर में खुजली होना, हाथ-पैरों का टूटना, पेट में अफरा तथा गैस बनना, शरीर से एक प्रकार की बदबू आना, मुंह का स्वाद कड़वा हो जाना आदि लक्षण भी देखे जाते हैं| इस रोग में रोगी दिन-प्रतिदिन कमजोर होता चला जाता है| जिगर, तिल्ली, पिताश्य, आंतें और आमाशय स्वाभाविक रूप से बिगड़ जाते हैं|
पीलिया के घरेलु नुस्खे इस प्रकार हैं :- सज्जीखार, पानी और सोदबाई कार्ब :- सज्जीखार एवं सोदबाई कार्ब – दोनों को दो रत्ती की मात्रा में ताजे पानी से सुबह, दोपहर और शाम का सेवन करें|
माशा :- एक माशा जवाखार दिन में तीन बार सेवन करें|
फिटकिरी और मिश्री :- 2 ग्राम फूली हुई फिटकिरी में मिश्री मिलाकर दिन में तीन-चार बार सेवन करें|
कलमी शोरा, जवाखार और पानी :- कलमी शोरा और जवाखार – दोनों 2-2 माशा की मात्रा में दिन में तीन बार पानी के साथ लें|
नीम और पानी :- नीम के पत्तों का स्वरस एक चम्मच की मात्रा में पानी में मिलाकर दिन में दो बार लें|
गिलोय :- गिलोय का रस एक चम्मच की मात्रा में दिन में तीन बार लेने से कुछ दिनों में पीलिया का रोग जाता रहता है|
टमाटर :- टमाटर का रस एक कप सुबह और एक कप शाम को पिएं|
फूलगोभी और कालीमिर्च :- प्रतिदिन सुबह के समय चार चम्मच फूलगोभी के रस में कालीमिर्च का चूर्ण डालकर लें|
केला और शहद :- दो पके केले लेकर उन्हें किसी बरतन में अच्छी तरह मथ लें| फिर उसमें दो चम्मच शहद मिलाकर सुबह-शाम खाएं| आठ दिनों में ही काफी लाभ मालूम पड़ने लगेगा|
अनार :- अनार का रस आधा कप प्रतिदिन भोजन के बाद पिएं|
तरबूज, सेंधा नमक और काला नमक :- तरबूज के एक गिलास रस में जरा-सा सेंधा नमक तथा जरा-सा काला नमक मिलाकर कुछ दिनों तक रोज पिएं|
आंवला, गन्ना और शहद :- हरे-ताजे आंवलों का रस 10 ग्राम, गन्ने का रस 25 ग्राम तथा शहद 4 ग्राम – तीनों को मिलाकर कुछ दिनों तक पीने से पीलिया रोग चला जाता है|
इमली, नमक, पानी और कालीमिर्च :- रात में पकी हुई इमली का गूदा एक गिलास पानी में भिगो दें| सुबह उसे पानी में मथकर जरा-सा नमक तथा एक चुटकी कालीमिर्च डालकर पिएं|
मूली, पालक और गाजर :- 5 ग्राम मूली के ताजे पत्तों का रस, 3 ग्राम पालक का रस तथा 5 ग्राम गाजर का रस – तीनों को मिलाकर कुछ दिनों तक पीने से पीलिया ठीक होता है|
प्याज, गुड़ और हल्दी :- सफेद प्याज का रस दो चम्मच, पिसी हुई हल्दी एक चम्मच तथा 10 ग्राम गुड़ – तीनों को मिलाकर नित्य सेवन करें|
गन्ना और नीबू :- एक गिलास गन्ने के रस में नीबू डालकर पीने से पीलिया का रोग जाता रहता है|
तरोई :- कड़वी तरोई का रस नित्य सुबह के समय दोनों नथुनों में डालें| दो क्षण बाद नाक नीचे झुका दें| पीला पानी नीचे गिरना शुरू हो जाएगा|
चना और गुड़ :- 25 ग्राम चने की दाल पानी में भिगोकर सुबह गुड़ के साथ खाएं|
करेला और काला नमक :- ताजे करेले का रस दो चम्मच नित्य रोगी को काला नमक मिलाकर सुबह-शाम कुछ दिनों तक पिलाएं|
लहसुन और दूध :- लहसुन की चार पूतियां छीलकर चटनी बनाएं| फिर उसे एक गिलास दूध में डालकर पी जाएं|
बबूल और मिश्री :- 5 ग्राम बबूल के फूलों में थोड़ी-सी मिश्री मिलाकर सेवन करें|
पीलिया में क्या खाएं क्या नहीं :- सुपाच्य तथा पौष्टिक भोजन अल्प मात्रा में लें| वायु बनाने वाली एवं गरिष्ठ खाद्य वस्तुओं का सेवन कदापि न करें| यथासमय प्रत्येक नित्य कर्म करने का कार्यक्रम बनाएं| भरपूर विश्राम करें|