HOMEMADE REMEDIES FOR INFLAMMATION AND DRYNESS IN THE THROAT :- इस रोग में रोगी का गला बैठ जाता है जिसके कारण रोगी को बोलने में परेशानी होने लगती है तथा जब व्यक्ति बोलता है तो उसकी आवाज साफ नहीं निकलती है तथा उसकी आवाज बैठी-बैठी सी लगती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि स्वर नली के स्नायुओं पर किसी प्रकार के अनावश्यक दबाव पड़ने के कारण वे निर्बल पड़ जाती हैं। इस रोग के कारण रोगी की आवाज भारी होने लगती है तथा गले में खुश्की हो जाती है और कभी-कभी रोगी को सूखी खांसी और सांस लेने में परेशानी होने लगती है।
गले में सूजन कोई बीमारी नहीं है| लेकिन जब किन्हीं दूसरी व्याधियों के कारण गला सूज जाता है या लाल पड़ जाता है तो इसे रोग की श्रेणी में माना जाता है| यह रोग अधिक सिगरेट-बीड़ी पीने, शराब का सेवन करने, ठंडी चीजों को खाने, ठंडे स्थानों में रहने या पेट में भारी कब्ज के कारण हो जाता है| कुछ लोग गरम स्थानों से ठंडे स्थानों पर जाते हैं| वहां की ठंडी हवा लगने या पानी पीने के कारण गले में सूजन आ जाती है|
गले में सूजन और खुश्की का कारण :- गले में सूजन और खुश्की मुख्यत: मादक पदार्थों के सेवन, पेट की गडबड़ी तथा प्रदूषित आहार-विहार से होती है| कई बार दूषित वायु तथा गंदे फूलों को सूंघने से भी गले का रोग हो जाता है| खट्टे तथा अम्लीय पदार्थों को अधिक खाने, ठंडी जगह में बैठकर देर तक बातें करने आदि के कारण भी गले में खराबी आ जाती है| थूक निगलने, भोजन करने तथा पूरा ज्वर निकालने में यदि कुछ बाधा उत्पन्न होती है तो उसका कारण गले का सूजन ही होता है| इससे गले में खुश्की की व्याधि भी उत्पन्न हो जाती है|
गले में सूजन और खुश्की की पहचान :- गले में सूजन तथा खुश्की हो जाने के कारण धीरे-धीरे दर्द होने लगता है| भोजन करने, पानी पीने तथा थूक निकलने में बड़ी कठिनाई होती है| गले में मिर्चें-सी लगती हैं तथा खुजली होती है| सूखी खांसी की शिकायत भी हो जाती है| कुछ दिनों के बाद बुखार भी आ जाता है| कफ बाहर थूकने में भी गले में दर्द होने लगता है| आवाज भी भारी हो जाती है|
गले में सूजन और खुश्की के घरेलु नुस्खे इस प्रकार हैं :-बबूल :- बबूल की थोड़ी-सी छाल को पानी में उबलने के लिए रख दें| जब पानी मटमैला हो जाए तो उसे उतारकर छान लें| इस पानी से गरारें करें| गले की सूजन उतर जाएगी|
शलजम :- शलजम को उबालकर उसका पानी पिएं तथा कुल्ले करें| इससे गला खुलेगा और सूजन भी कम होगी|
हरड़ :- छोटी हरड़ को गलपटों में दबाकर चूसें या चौथाई चम्मच भुनी हुई हरड़ का चूर्ण ताजे पानी के साथ सेवन करें|
मूली :- एक चम्मच मूली के बीज का काढ़ा बनाकर घूंट-घूंट पिएं|
पालक और चौलाई :- पालक तथा चौलाई के पत्तों को पीसकर लेप बनाएं| इस लेप को गले में लगाएं| ऊपर से फलालैन की पट्टी बांध लें|
अनार, पानी और फिटकिरी :- 10 ग्राम अनार के छिलके पानी में थोड़ी देर तक उबालें| फिर इसमें एक चुटकी फिटकिरी डालकर बार-बार कुल्ला करें|
मुलहठी :- पानी में 5 ग्राम मुलहठी डालकर उबलने के लिए रख दें| जब पानी आधा रह जाए तो उसे गुनगुना करके सेवन करें तथा गले पर लगाएं|
जायफल :- पानी में जायफल घिसकर चंदन की तरह गले पर लेप करें|
नीम, कालीमिर्च और सेंधा नमक :- चार-पांच नीम की पत्तियां, चार दाने कालीमिर्च, चार दाने लौंग तथा एक चुटकी सेंधा नमक-इन सबका काढ़ा बना-छानकर पी जाएं|
आक :- आक के फूलों को पानी में पीसकर गले पर लेप करें| यह सूजन तथा खुश्की दोनों के लिए लाभकारी है|
सोंठ और मिश्री :- एक चम्मच सोंठ में जरा-सी मिश्री पीसकर मिला लें| इस चूर्ण को सुबह-शाम ताजे पानी से लें|
अदरक, कालीमिर्च, लौंग और हींग :- एक चम्मच अदरक का रस, दो कलिमिर्चें, चार लौंग तथा दो रत्ती हींग-इन सबको पीसकर शहद मिलाकर सुबह-शाम चाटें|
लौंग और कालीमिर्च :- दो लौंग तथा दो कालीमिर्च मुंह में डालकर चूसने से भी गले की सूजन कम हो जाती है|
गले में सूजन और खुश्की में क्या खाएं क्या नहीं :- रोगी को गेहूं की रोटी, मूंग की दाल, तरोई, लौकी, पतली सेम, पालक, मेथी, गाजर, टिण्डे, टमाटर आदि की सब्जी खानी चाहिए| मिर्च-मसाले कम लेने चाहिए| सुबह निहार मुंह एक चम्मच अदरक के रस में एक चम्मच शहद मिलाकर चाटना चाहिए|
उरद की दाल, रूखा भोजन, सुपारी, खटाई, मछली, मांस, ठंडे पानी से स्नान आदि नहीं करना चाहिए| रात को सोते समय आधा लीटर दूध का सेवन अवश्य करें| सिगरेट, शराब तथा अन्य मादक पदार्थों का त्याग करें|