HOMEMADE REMEDIES FOR EARACHE :- कान में होने वाला दर्द बहुत असहनीय होता है। कानों का दर्द तेज आवाज, सर्दी, जुखाम, नासिका मार्ग में रूकावट, कान में मैल का जम जाना या फिर कान का क्षतिग्रस्त हो जाने से होता है। इसके अलावा दर्द कान के बीच में बैक्टीरिया और वायरस के संक्रमण के कारण होता हैं।
यदि आपके कान में अक्सर दर्द होता है या इतनी तीव्रता से होता है कि आप कहीं अन्यत्र ध्यान नहीं लगा पा रहे हैं तो इनसे बचने के लिए घर पर ही कई ऐसी चीजें मौजूद होती हैं जो कान दर्द से निजात दिलाती हैं। कान में दर्द प्राय: बच्चों तथा प्रौढ़ों को हो जाता है| इस रोग में रोगी को बहुत तकलीफ होती है|
कान में सूई छेदने की तरह रह-रहकर पीड़ा होती है| यह स्थिति तब उत्पन्न होती है, जब कान के परदे या भीतरी भाग में कोई कीटाणु चला जाता है या ठंडी वायु का प्रकोप हो जाता है| इससे कान के परदे या भीतरी भाग पर सूजन आ जाती है| यही सूजन दर्द का कारण बनती है| कई बार बैठे-बैठे अचानक कान में दर्द होने लगता है|
यह दर्द कान के भीतरी रक्त की रुकावट या परदे पर आघात लगने के कारण होता है| कुछ स्त्री-पुरुषों की आदत होती है कि वे चिमटी, पेंसिल या सलाई से जब-तक कण कुरेदने बैठ जाते हैं| ऐसा करने से कान का भीतरी भाग छिल जाता है जो वायु के वेग से प्रभावित होकर दर्द करने लगता है| इसलिए कान कियो हर समय कुरेदने या सींक-सलाई डालने से बचना चाहिए|
कान दर्द का कारण :- कान में ठंड लगने, कान को बार-बार कुरेदने, पानी के अचानक परदे पर चले जाने, चोट लगने, कान में मैल हो जाने या फुन्सी निकल आने, कान में सूजन हो जाने, चर्म रोग आदि कारणों से कान में असहनीय दर्द हो जाता है| कान बहने के कारण भी कभी-कभी दर्द की शिकायत हो जाती है| तपेदिक, पुराना जुकाम, कान में गंदा पानी या कीड़े के चले जाने, खसरा, काली खांसी आदि के कारण कान में प्रदाह या दर्द हो जाता है|
कान दर्द की पहचान :- दर्द के कारण रोगी की बेचैनी बढ़ जाती है| कान में भारीपन, शूल, सिर में दर्द, पलकों पर सूजन या भारीपन, कान के भीतर-बाहर सूजन, सर्दी के साथ बुखार, कान में धूं-धूं के शब्द आदि व्याधियां उत्पन्न हो जाती हैं| रोगी की सुनने की शक्ति कम हो जाती है| कई बार कान से रक्त बहने लगता है| कान से श्लेष्मा, पीव आदि निकलने लगती है| काई बार कान के बहने के कारण भीतर से गुनगुन की आवाज आने लगती है| दिमाग में कमजोरी आ जाती है|
कान दर्द के घरेलु नुस्खे इस प्रकार हैं :- 25 ग्राम सरसों के तेल में 5 ग्राम फूली फिटकिरी तथा 5 ग्राम पिसी हल्दी मिलाकर आंच पर अच्छी तरह पका लें| फिर उसे छानकर कान में बूंद-बूंद टपकाएं| तीन-चार दिनों में कान के सभी रोग दूर हो जाएंगे|
प्याज और फिटकिरी :- दिन में दो बार प्याज का रस कान में टपकाएं| इसके बाद जरा-सा फिटकिरी का जल डालें| फिर कान को नीचे करके दोनों बहा दें|
आम और सरसों :- आम के हरे बौर को पीसकर रस निकाल लें| इस रस को थोड़े-से सरसों के तेल के साथ मिलाकर कान में बूंद-बूंद टपकाएं|
सरसों और अमृतधारा :- सरसों के तेल में दो बूंद अमृतधारा मिलाकर कान में डालें|
दूध :- कान के दर्द तथा घाव को ठीक करने के लिए माताएं प्राय: अपना दूध बच्चों के कानों में डालती हैं
गोमूत्र :- कान में दो-तीन बूंद गोमूत्र डालने से भी कान का दर्द जाता रहता है|
सुदर्शन वृक्ष और घी :- सुदर्शन वृक्ष के पत्तों का रस निकालकर उसमें जरा-सा घी मिलाकर कान में डालें|
सिरस :- सिरस के पत्तों को पीस-गरम कर एक पोटली में रखें| फिर इससे कान की सेंकाई करें|
गुलाब :- गुलाब की पत्तियों का रस निकालकर कान में डालें|
ग्वारपाठा :- ग्वारपाठे के गूदे का रस निकालकर गरम करें| फिर उसे गुनगुना करके कान में डालें|
मिट्टी और गोमूत्र :- मिट्टी के सकोरे को कंडे की आंच में गरम करें| फिर उसमें गोमूत्र डालें| इससे गोमूत्र गरम हो जाएगा| इसको सहता-सहता कान में डालें|
लहसुन :- लहसुन का तेल कान के दर्द को तुरन्त दूर कर देता है|
सरसों और मूली :- 50 ग्राम सरसों के तेल में दो चम्मच मूली का रस मिला लें| फिर इसे आग पर पकाएं| रस जलने के बाद जब तेल शेष रह जाए तो इसे नीचे उतारकर सहता-सहता कान में डालें|
लौंग, अनार, खील, कस्तूरी और बादाम :- चार लौंग, थोड़ा-सा अनार का फूल, 4 ग्राम सुहागे की खील तथा 2 ग्राम कस्तूरी-सबको बादाम के रस में घोटकर आग पर गरम कर लें| फिर छानकर शीशी में भर लें| इसमें से दो-दो बूंद तेल कान में डालें| कान की हर प्रकार की बीमारी के लिए यह रामबाण नुस्खा है|
आम :- आम के पत्तों पर तेल लगाकर गरम करके कान पर बांधें|
अदरक :- कान में अदरक का रस गुनगुना करके डालने से दर्द कम हो जाता है|
चंदन :- चंदन का तेल कान में डालने से कान का दर्द जाता रहता है|
सुहागा और नीबू :- सुहागा पीसकर उसमें थोड़ा-सा नीबू का रस मिलाएं| इस रस को रोज दो बार कान में डालें|
सरसों और अजवायन :- सरसों के तेल में एक चम्मच अजवायन डालकर आग पर पकाएं| जब तेल अच्छी तरह पक जाए तो उसे नीचे उतारकर छान लें| इस तेल को कान में बूंद-बूंद करके दिन में तीन बार डालें|
हल्दी और सरसों :- पिसी हल्दी को सरसों के तेल में डालकर पकाएं| जब तेल अच्छी तरह पक जाए तो छानकर कान में डालें|
इमली और सरसों :- इमली के पत्तों को सरसों के तेल में पका लें| फिर तेल को छानकर कान में डालें|
जामुन और सरसों :- जामुन की गुठली की गिरी को पीसकर सरसों के तेल में डालकर पकाएं| फिर इस तेल को छानकर बूंद-बूंद कान में डालें|
नीम, निबौली, लौंग और सरसों :- दो कलियां नीम, चार-पांच निबौली तथा दो लौंग – सबको सरसों के तेल में पकाएं| जब तेल अच्छी तरह पक जाए तो उसे छानकर कान में डालें|
बेल, नीम, लहसुन और सप्तगुण :- बेल का तेल, नीम का तेल, लहसुन का तेल तथा सप्तगुण तेल मिलाकर कान में डालें|
एरंड और सरसों :- एरंड व सरसों का तेल गरम करके कान में डालें|
कान दर्द में क्या खाएं क्या नहीं :- भोजन सादा, हल्का तथा शीघ्र पचने वाला खाएं| दालों में अरहर, उरद, मलका आदि का प्रयोग न करें| तरोई, लौकी, सेम, टमाटर, पालक, मूली आदि की सब्जियां बहुत लाभदायक हैं| घी, दूध तथा मौसमी फलों का सेवन करते रहें| पेट में कब्ज न बनने दें|
यदि किसी कारणवश कब्ज की शिकायत हो तो उसे दूर करने के लिए पपीता, एरंड का तेल या छोटी हरड़ का चूर्ण उचित्र मात्रा में लें| पेट को साफ करने वाली कोई भी तेज दवा नहीं लेनी चाहिए| कान में सलाई या सींक से सफाई न करें| पिचकारी से कान को धोकर दवा डालने से काफी लाभ होता है|