HOMEMADE REMEDIES FOR CATARACT :- आखें शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है और इनकी देख रेख करनी बेहद जरूरी है। आंखों की सेहत भी उतनी ही जरूरी है जितनी शरीर की सेहत की। मोतिया बिन्द आंखों के लिए एक खतरनाक रोग है। समय रहते इलाज न होने से आंखे जा भी सकती है। आइये जानते हैं मोतिया बिन्द के बारे में। जब आंखों की पुतलियों पर नीले रंग का पानी से जमा होने लगता है।
और धीरे-धीरे आखों की पुतलियों को ढ़कने लगता है। इससे व्यक्ति की रोशनी धीरे-धीरे कम होने लगती है। और बाद में पूरी तरह से आंखों की रोशनी चली जाती है। 40 साल की उम्र के बाद मोतिया बिन्द के लक्षण अधिक होते हैं। समय रहते इलाज हो जाने से यह पूरी तरह से ठीक हो सकता है। और आपकी आंखे बची रह सकती है।
मोतियाबिन्द होने पर आंखों की पुतली पर सफेदी आ जाती है और रोगी की दृष्टि धुंधली पड़ जाती है| वह किसी चीज को स्पष्ट नहीं देख सकता| आंखों के आगे धब्बे और काले बिन्दु-से दिखाई पड़ने लगते हैं| जैसे-जैसे रोग बढ़ता जाता है, वैसे-वैसे रोगी ठीक से देखने में असमर्थ हो जाता है|
मोतियाबिन्द का कारण :- आंखों में चोट लगने, घाव हो जाने, आंखों की बनावट में कोई खराबी आने, बुढ़ापे की हालत, मधुमेह, गठिया, अत्यधिक कुनीला खाने, शरीर में पसीना बंद हो जाने आदि कारणों से आंखों में फुड़िया-सी बन जाती है| यह पुतली तथा उसके आसपास भीतरी परदे पर होती है| इसी को मोतियाबिन्द अर्थात् मोती की तरह बिन्दु कहते हैं| यह शुरू में एक आंख पर होता है| फिर कुछ काल के बाद दूसरी आंख में भी हो जाता है|
मोतियाबिन्द की पहचान :- मोतियाबिन्द कठोर तथा मुलायद दो प्रकार का होता है| कोमल या मुलायम मोतियाबिन्द आसमानी रंग का होता है| यह 30-35 वर्ष की उम्र तक होता है| लेकिन कठोर मोतियाबिन्द वृद्धावस्था में होता है| यह धुमैले रंग का होता है| यह एक या दोनों आंखों में हो सकता है| इसके कारण कुछ भी दिखाई नहीं देता क्योंकि यह रोशनी के परदे को घेर लेता है|
मोतियाबिन्द के घरेलु नुस्खे इस प्रकार हैं :- शहद :- आंखों में शुद्ध शहद सलाई से बराबर लगाते रहें| मोतियाबिन्द कट जाएगा|
दूध :- सत्यानाशी का पीला दूध नित्य सलाई से आंखों में लगाएं|
रीठा और पानी :- रीठे को पानी में भिगो दें| इसके बाद पानी को उबालछान लें| इसमें से नित्य एक सलाई सोते समय आंखों में लगाएं|
गुलाबजल, फिटकिरी, सेंधा नमक, मिश्री और रसौत :- गुलाबजल में रसौत, फिटकिरी का फूला, सेंधा नमक तथा मिश्री – सभी 3-3 ग्राम की मात्रा में अच्छी तरह पीसकर मिला लें| फिर जल को छानकर शीशी में भर लें| इसे सुबह-शाम पिचकारी में बूंद-बूंद आंखों में डालें|
अनार :- आंखों में ताजे अनार का रस डालें|
दूध और गाय मूत्र :- माता का दूध को माह तक नित्य नियमित रूप से आंखों में डालना चाहिए| मोतियाबिन्द गल जाएगा| गाय का बछिया का ताजा मूत्र आंखों में डालें|
हल्दी :- हल्दी को आग में भूनकर धो डालें| फिर इसे पीसकर आंखों की पलकों पर लगाएं|
अफीम, रसौत और फिटकिरी :- अफीम, फिटकिरी और रसौत – तीनों को समान मात्रा में लेकर खरल कर लें| फिर इसे आंखों की पलकों पर लगाएं|