Home Remedies For DEAFNESS :- आज के इस शोर भरे दौर में बहरापन एक आम बात है। बहरापन से ध्वनी को सुनने की शक्ति का ह्रास होने की स्तिथि को कहा जाता है। इससे सुनने की शक्ति ही कम नहीं होती, बल्कि व्यक्ति की समाजिक और मानसिक परेशानी भी बढ़ जाती है। ऐसे में जब भी कोई व्यक्ति बोलता है तो वह ध्वनी तरंंगों के द्वारा हवा में कंपन पैदा करता है।
बहरापन एक या फिर दोनों कानों को प्रभावित कर सकता है। बहरापन एक गंभीर रोग है| इससे छुटकारा पाने के लिए तुरंत ही उपचार करना चाहिए| यह बीमारी कमजोर लोगों तथा असामान्य मस्तिष्क वाले व्यक्तियों को अधिक होती है| इस बीमारी होते ही उसके कारणों को जानकर ही उचित उपचार करना चाहिए|
बहरेपन का कारण :- बहरेपन की बीमारी शारीरिक कमजोरी, स्नायु सम्बंधी गड़बड़ी तथा आंतों की खराबी के कारण होती है| वैसे सामान्यत: कान तथा मस्तिस्क में ठंड लगने, कान के पास तेज ध्वनि में बोलने, तीव्र बाजा बजने, सीटी की तीव्र आवाज, स्नायु की कमजोरी, स्नान करते समय कान में पानी चले जाने, कान में कड़ा मैल जमने, भीतरी परदे में चोट लगने, कान के बहने आदि के कारण कान से सुनाई देना बंद हो जाता है| कभी-कभी तेज दवा के प्रभाव से भी कान में बहरापन आ जाता है|
बहरेपन की पहचान :- बहरेपन के कारण सुनने की शक्ति क्षीण हो जाती है या फिर बिलकुल सुनाई नहीं देता| कान में हर समय सूं-सूं की आवाज आती रहती है| कभी-कभी रुक-रूककर आवाजें आने लगती हैं| जिस व्यक्ति के कान का ध्वनि परदा क्षतिग्रस्त हो गया हो, उसे चीखने-चिल्लाने की आवाज भी सुनाई नहीं देती|
बहरेपन के घरेलु नुस्खे इस प्रकार हैं :- तुलसी और सरसों :- तुलसी के पतों का रस सरसों के तेल में मिलाकर गरम करके कान में डालें|
सरसों और धनिया :- सरसों के तेल में थोड़े-से धनिया के दाने डालकर आग पर पकाएं| जब तेल जलकर आधा रह जाए तो उसे छानकर बूंद-बूंद कान में डालें|
प्याज :- कान में सफेद प्याज के अर्क को दिन में तीन बार डालते रहें| दो-तीन माह के बाद बहरापन कम होने लगता है|
हींग और गाय दूध :- एक चुटकी हीरा हींग लेकर बकरी, घोड़ी या गाय के दूध में अच्छी तरह मिलाकर कान में दो बार डालें|
लहसुन और सरसों :- लहसुन की सात-आठ पूतियों को छीनकर 100 ग्राम तिली या सरसों के तेल में पकाएं| इस तेल को छानकर कांच की शीशी में भरकर रख लें| यह तेल बूंद-बूंदकर कान में डालें|
सरसों :- सरसों के तेल में थोड़ा-सा मूली का रस मिलाकर कान में बूंद-बूंद डालने से बहरापन दूर होता है|
बेल और सरसों :- बेल के पत्तों का रस चम्मच तथा अनार के पत्तों का रस एक चम्मच-दोनों को मिलाकर 100 ग्राम सरसों के तेल में पकाएं| जब तेल आधा रह जाए तो आंच पर से उतार-छानकर शीशी में रख लें| इस तेल को कान में नियमित रूप से डालें|
दालचीनी :- कान के कुछ दिनों तक लगातार दालचीनी का तेल डालने से भी काफी लाभ होता है|
फिटकिरी और सरसों :- फिटकिरी के फूले का चूर्ण सरसों के तेल में मिलाकर कान में डालें|
निर्देश :- स्नान करते समय कान में साबुन का पानी या सादा पानी न जाने दें| कान के परदे बहुत कमजोर होते हैं| पानी उनको संक्रमित करके बहरापन ला सकता है|छोटे बच्चों तथा युवकों को नदी, तालाब, झरने आदि के पानी में नहाने की आज्ञा नहीं देनी चाहिए|घर में अधिक ऊंची आवाज में टी.वी. नहीं देखना चाहिए|
तीव्र ध्वनि कानों के संवेदनशील परदों को चोट पहुंचा सकती है| जिसके कारण व्यक्ति बहरा हो सकता है|चिकित्सक की सलाह के बिना कानों में तेल या अन्य प्रकार की दवा नहीं डालनी चाहिए| कानों को संक्रमित करने वाले पदार्थों से भी बचाना चाहिए|कान में तकलीफ होने पर तुरन्त किसी योग्य वैद्य या डॉक्टर को दिखाएं| यदि डॉक्टर कोई रोग बताए तो उसका इलाज तुरन्त शुरू कर देना चाहिए|
बहरेपन में क्या खाएं क्या नहीं :- कान में बहरेपन के लिए कोई विशेष भोजन लेने की जरूरत नहीं है| प्रतिदिन ताजा, सुपाच्य तथा रुचिकर भोजन करें| सुबह उठकर एक गिलास पानी में नीबू निचोड़कर पिएं| सिर को शीतलता पहुंचाने वाले तेल की मालिश करते रहें| यदि कान में खुजली होती हो तो उसे सींक से न कुरेदकर केवल ऊँगली से खुजली कर लें| गरम मसालों से युक्त भोजन न करें| धूप में अधिक देर तक कार्य न करें| कान के भीतर धूप की गरमी पहुंचने से परदों को नुकसान होता है| प्रात:काल उठकर शुद्ध वायु में टहलें|