Health Benefits of Psyllium: हमारी प्राचीन चिकित्सा पद्धति मूलत: उन प्राकृतिक पदार्थों और जड़ी-बूटियों पर आधारित थी जो पूर्णत: निरापद थे, परंतु आज शीघ्रातिशीघ्र लाभ पाने के लोभ में हम अनेक प्राकृतिक औषधियों को भुला बैठे हैं।‘ईसबगोल’ जैसी प्राकृतिक चमत्कारी औषधि भी उन्हीं में से एक है। यह झाड़ीनुमा लगभग तीन फुट ऊंचे पौधे का बीज होता है। बीजों के ऊपर सफेद भूसी होती है। ईसबगोल के बीजों एवं भूसी में काफी मात्रा में म्युसिलेज पाया जाता है जिसके अंदर मुख्य रूप से जाईलोज, एरेविनोज रैमन्नोज और गैलेक्टोज आदि पाए जाते हैं।इसके बीज घोड़े के कान की शक्ल के होते हैं, इसलिए इसे संस्कृत में ‘अश्वकर्ण’ तथा फारसी में अश्व (घोड़ा) गोल (कान) अर्थात ‘अश्वगोल’ कहते हैं।
औषधि के रुप में प्रयोग की जाने वाले ईसबगोल की भूसी अतिसार, रक्तातिसार, पेचिश, पाचन तंत्र के विकार, खूनी बवासीर, स्वप्नदोष, दमा तथा कब्ज रोग दूर करने वाली श्रेष्ठ, निरापद और गुणकारी दवा का काम करती है। यह दुष्प्रभावों से सर्वथा मुक्त है, अत: इसे घरेलू औषधि के रुप में लाभ न होने तक लगातार नि:संकोच प्रयोग कर सकते हैं। यूं भी यदा-कदा ईसबगोल का सेवन कर लिया जाए तो किसी प्रकार की हानि नहीं होगी बल्कि लाभ ही होगा।
ईसबगोल
ईसबगोल की भूसी में थोड़ा-सा लुवाब होता है| यह पेट के सभी रोगों में काम आती है| इसका लुवाब अंतड़ियों में पहुंचकर उनकी क्रिया को तीव्र कर देता है| इसके फलस्वरूप आंतों में जमा पुराना मल सरलता से शौच के समय बाहर निकल जाता है| इसमें लेस होता है जो आंव (पेचिश) तथा मरोड़ को धो डालता है| ईसबगोल बलवर्द्धक, पौष्टिक तथा नपुंसकता को दूर करता है| इसके नियमित सेवन से व्यक्ति में पौरुष शक्ति बनी रहती है| आइए, देखें कि ईसबगोल की भूसी हमारे लिए कितनी उपयोगी है –
आंव (पेचिश)
एक चम्मच ईसबगोल की भूसी को आधा किलो मीठे दूध में भिगो दें| थोड़ी देर बाद जब वह फूल जाए तो रात को सोने से पूर्व उसका सेवन करें| सुबह के समय इसे दही और सेंधा नमक के साथ खाएं| चार-पांच दिनों तक नियमित रूप से इसका सेवन करने पर आंव साफ हो जाएगी|
संग्रहणी
दो चम्मच ईसबगोल की भूसी, दो हर्र और थोड़ा-सा बेल का सूखा गूदा-तीनों चीजों को पीसकर दो खुराक कर लें| फिर सुबह-शाम इसे दूध से खाएं| इसके प्रयोग से संग्रहणी रोग चला जाता है|
बवासीर
रात को दूध में भिगोकर कुछ दिनों तक ईसबगोल की भूसी का प्रयोग करें| बवासीर से शर्तिया छुटकारा मिल जाएगा|
पेशाब में जलन
तीन चम्मच ईसबगोल की भूसी को एक गिलास पानी में भिगो दें| उसमें एक चम्मच कच्ची खांड़ मिला लें| इसे दिन में दो बार सेवन करने से पेशाब की जलन दूर हो जाती है|
दमा
प्रतिदिन दो बार दो-दो चम्मच ईसबगोल की भूसी को पानी में भिगोकर सेवन करें| 40 दिनों तक उपयोग करने पर दमा का रोग चला जाएगा|
दस्त
एक चम्मच ईसबगोल की भूसी की फंकी लगाकर ऊपर से पानी पी लें| यह दस्तों को रोकने के लिए बहुत ही कारगर चीज है|