Learning About Thalassemia : थैलेसीमिया एक अनुवांशिक रक्त विकार है, जिसमें रोगी के शरीर में लाल रक्त कण और हीमोग्लोबिन सामान्य से कम होता है।भारत में हर वर्ष 7 से 10 हजार बच्चे थैलासीमिया / Thalassemia से पीड़ित पैदा होते हैं। यह रोग न केवल रोगी के लिए कष्टदायक होता है बल्कि सम्पूर्ण परिवार के लिए कष्टों का सिलसिला लिए रहता हैं।
यह रोग अनुवांशिक होने के कारण पीढ़ी दर पीढ़ी परिवार में चलती रहता हैं। थैलासीमिया / Thalassemia से पीड़ित बच्चों को बार-बार खून चढाने की आवश्यकता पड़ती है और ऐसा न करने पर बच्चा जीवित नहीं रह सकता हैं।
थैलासीमिया / Thalassemia के लक्षण :-
चेहरे का सूखा पड़ना
नियमित तौर पर बीमारी
सांस लेने में तकलीफ
चिड़चिड़ापन
भूख न लगना
वजन नहीं बढ़ना
थैलासीमिया / Thalassemia की जांच करने के तरीके :-
1.शारीरिक जांच / Physical Examination : पीड़ित व्यक्ति में रक्त की कमी के लक्षण, Liver और Spleen में सूजन और शारीरिक विकास में कमी इत्यादि लक्षणों से थैलासीमिया का अंदाजा आ जाता हैं।
2.रक्त की जांच / Blood Test : Hemoglobin Electrophoresis जांच में अनियमित हीमोग्लोबिन का पता चलता हैं। Mutational Analysis जांच करने पर Alpha थैलासीमिया / Thalassemia का निदान किया जाता हैं।
थैलासीमिया / Thalassemia का उपचार :-
1.रक्त चढ़ाना / Blood Transfusion : थैलासीमिया / Thalassemia का उपचार करने के लिए नियमित रक्त चढाने की आवश्यकता होती हैं। कुछ रोगियों को हर 10 से 15 दिन में रक्त चढ़ाना पड़ता हैं। सामान्यतः पीड़ित बच्चे की मृत्यु 12 से 15 वर्ष की आयु में हो जाती हैं। सही उपचार लेने पर 25 वर्ष से ज्यादा समय तक जीवित रह सकते हैं।
थैलासीमिया से पीड़ित रोगियों में आयु के साथ-साथ रक्त की आवश्यकता भी बढ़ते रहती हैं। मेरा आप सभी से अनुरोध है की अगर आपक रक्त दान कर सकते है तो साल में कम से कम 2 बार ऐच्छिक रक्त दान अवश्य कीजिये ताकि आपके दिए हुए इस अनमोल दान से किसी बच्चे को जीवन दान मिल सकता हैं।
2.Chelation Therapy : बार-बार रक्त चढाने से और लोह तत्व की गोली लेने से रोगी के रक्त में लोह तत्व की मात्रा अधिक हो जाती हैं। Liver, Spleen, तथा ह्रदय / Heart में जरुरत से ज्यादा लोह तत्व जमा होने से ये अंग सामान्य कार्य करना छोड़ देते हैं। रक्त में जमे इस अधिक लोह तत्व को निकालने के प्रक्रिया के लिए इंजेक्शन और दवा दोनों तरह के ईलाज उपलब्ध हैं।
3.Bone Marrow Transplant : Bone Marrow Transplant और Stem Cell का उपयोग कर बच्चों में इस रोग को रोकने पर शोध हो रहा हैं। इनका उपयोग कर बच्चों में इस रोग को रोक जा सकता हैं।