आप इस बात से परेशान हैं कि क्रोध आपको नियंत्रित करता है न कि आप क्रोध को नियंत्रित कर पाते हैं? आप क्रोध को नियंत्रित करने का कोई उपाय खोज रहे हैं? अगर ऐसा तो ध्यान को आजमाएँ. क्रोध एक सामान्य और ज्यादातर स्वास्थ्यप्रद मानवीय भावना की तरह परिभाषित किया जाता है। क्रोध के उबार के बाद यदि आप इसे भुला पाते हैं तो यह ठीक है ।
जब हम क्रोध को नियंत्रित नहीं कर पाते है तो जीवन के हर पहलू की समस्या को दावत दे देते हैं चाहे वो शारीरिक हो, मानसिक हो, भावनात्मक हो या फिर सामाजिक।क्रोध हमारी किसी परिस्थिति में मूलभूत प्रतिक्रिया सामना करे या भागे को शुरू करता है। दिल की धड़कन में तेजी, रक्तचाप में वृद्धि और तनाव में वृद्धि, ये क्रोध के प्रारंभिक परिणाम हैं। सांस की गति भी बढ़ जाती है।
जब क्रोध जीवन में आवर्ती और अनियंत्रित हो जाता है तो समय के साथ हमारे उपापचय में परिवर्तन आ जाता है जो न केवल स्वास्थ्य को प्रभावित करता है अपितु जीवन की सम्पूर्ण गुणवत्ता को भी प्रभावित करता है।अगर मैं आपसे पूछूं कि आपको गुस्सा कब आता है ? तो शायद आप सोच में पड़ जाएंगे क्योंकि गुस्सा हमारे अंदर की एक ऐसी भावना है जो कब कहां और कैसे प्रकट हो जाए, यह कहना मुश्किल है।
मसलन, अगर आपके पतिदेव ने गीला तौलिया या मोजा फिर से बिस्तर पर रख दिया तो हो सकता है कि आप उन पर बरस पड़ें। या फिर अगर आपके बच्चे ने आज फिर अपना टिफिन खत्म नहीं किया तो मुमकिन है कि उसे आपका गुस्सा झेलना पड़े। जरा सोच कर देखिए, कई बार यह जाने बिना कि टिफिन खत्म क्यों नहीं हुआ, आप बच्चे को डांटने लगती हैं।
इसी तरह बहुत से लोग दाल या सब्जी में नमक ज्यादा होने पर जोर जोर से चिल्लाने लगते हैं या गुस्से में आकर थाली फेंक देते हैं। घर में पत्नी और बच्चों के साथ मार पीट करते हैं।गुस्सा एक तूफान की तरह होता है। जब तूफान निकल जाता है तो अपने पीछे विनाश के निशान छोड़ जाता है उसी तरह गुस्से का दौरा खत्म होने के बाद लोगों को अफसोस होता है कि बेकार ही ओवर-रिएक्ट किया।
ज्यादा गुस्सा करने से रिश्ते खराब होते हैं। आपकी पहचान एक क्रोधी इंसान की बन जाती है, जिससे बात करना, जिसके पास आना कोई पसंद नहीं करता है। गुस्सा जब हद से ज्यादा हो जाता है तो वो ‘रेज’ का रूप ले लेता है। आपने सुना होगा कि रोड रेज की वारदात में लोग गाड़ी की हल्की सी टक्कर होने जाने भर से मरने मारने पर उतारू हो जाते हैं।
अब सवाल उठता है कि आखिर गुस्से पर नियंत्रण कैसे किया जाए। अगर आपको भी ज्यादा गुस्सा आता है तो आप इन नुस्खों को आजमा कर खुद को कूल कर सकते हैं।अगर आप शॉर्ट टेंपर्ड हैं तो अपनी इस कमजोरी को गंभीरता से लें और इसे सुधारने के लिए ठोस पहल करें। जब भी आपको गुस्सा आए तो तुरंत रिएक्ट नहीं करें। एक मिनट के लिए रुकें। किसी कोने में जाएं।
कम से कम पांच बार ‘डीप ब्रीदिंग’ करें यानी गहरी सांस भरें और छोड़ें। इसके बाद आपको जो भी कहना हो कहें। आप देखेंगे कि डीप ब्रीदिंग के
बाद जब आप खुद को अभिव्यक्त करेंगे तो गुस्सा काफी हद तक काबू में होगा और आप संतुलित तरीके से अपनी बात रखेंगे।इससे अलावा हर सुबह आप योग और प्राणायम जरूर करें। इससे भी आपको गुस्से पर काबू करने में मदद मिलेगी।
इसके अलावा आप एक और उपाय करें। जब भी आपको लगे कि आपको बहुत ज्यादा गुस्सा आ रहा है तो उसी समय उस जगह से चले जाएं। थोड़ी देर खुली हवा में घूमें या कहीं आंख बंद करके थोड़ी देर रिलैक्स करें। इसके बाद फिर वापस आकर अपनी बात कहें, आप पाएंगे कि इतने भर से आपका गुस्सा काफी कम हो जाएगा