भारत में अतीत काल से जादू, टोना, भूत प्रेत आदि की बातें होती आ रही हैं। यहां तंत्र विद्या को बहुत महत्वपूर्ण जाना जाता है, अशिक्षित वर्ग ज्यादातर इन बातों पर ज्यादा विश्वास करता है। कई लोग मानते है कि उनके जीवन पर काला जादू की वजह से काफी नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। क्या वाकई में ये सच है या सिर्फ झूठी बातें हैं। आज भी काला जादू एक अनसूलझी पहेली है। हिंदू परंपराओं के पीछे छुपे विज्ञान को समझना है जरुरी कई धर्मो में जादू, काला जादू और टोना-टोटका को माना जाता है। काला जादू को करने वाले को तांत्रिक कहते है जो कई प्रकार की विधियों से किसी के ऊपर जादू करके उसका नाश कर सकते हैं, ऐसा कई लोग मानते है और बहुत बार व्यक्तिगत सहायता या लाभ के लिए जादू की मदद लेते हैं।
काला जादू हिंदू धर्म में ज्यादा मानते है
काला जादू और हिंदू धर्म का नाता पिछले कई युगों से चला आ रहा है। इन्हे करने वालों को तांत्रिक या अघोरी बाबा कहा जाता है जो रात के दौरान विशेष पूजा करते हैं। हिंदू धर्म में ये सबसे ज्यादा होता है।
ऊर्जा
काला जादू शरीर में नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करता है। ये शक्तियां बाहरी व्यक्ति के द्वारा भेजी जाती हैं जो उस व्यक्ति पर आतंरिक प्रभाव डालती है।
तांत्रिक
तांत्रिक जिस प्रकार पूजा करते हैं, वह आज भी रहस्य बना हुआ है। वास्तव में तांत्रिक बुरी आत्माओं को बुलाते है और फिर उनसे अच्छी आत्माओं या किसी व्यक्ति को परेशान करने के लिए कहते हैं। जिस व्यक्ति को वह परेशान करना चाहते हैं, उसका कोई कपड़ा, बाल या कुछ भी निशानी चाहिए होती है। अगर एक बार भी बुरी आत्मा परेशान करना शुरू कर देती है तो अच्छा व्यक्ति भी बेहाल हो जाता है।
काला जादू का प्रभाव
काला जादू का प्रभाव बहुत विकराल होता है। इसके प्रभाव के कारण व्यक्ति के स्वभाव में बहुत ज्यादा परिवर्तन आ जाता है। उसका स्वास्थ्य बिना वजह ही ठीक नहीं रहता है। कई बार, घरों में तुलसी के पत्ते सूख जाते है जबकि उनकी बहुत केयर की जाती है, या प्रभावित व्यक्ति का नाखून अपने आप ही काला पड़ने लगता है।
वैज्ञानिक कारण
काला जादू गैर वैज्ञानिक घटना नहीं है। वैज्ञानिक रूप से सिद्ध हो चुका है कि किसी बाहरी के द्वारा किसी के लिए ज्यादा नकारात्मक सोच, उस व्यक्ति पर बुरा प्रभाव आसानी से ड़ाल सकती है और मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकती है।