What is shiv ling – शिव लिंग का सही अर्थ, ब्रह्माण्ड के लिए परम उर्जा

बढ़ते हुए ब्रह्माण्ड को उर्जा कौन प्रदान कर रहा है | अलग अलग विज्ञानिको के इस विषय पर ‘अनुमान’ हैं जो एक दुसरे से मेल तक नहीं खाते;कोइ कहता है कि इस विकास को उर्जा काल-कोठरी(black hole), जो की अंतरिक्ष मैं अनेक हैं, उनसे मिल रही है तो कोइ बिग बैंग सिद्धांत(big bang theory) को इसका स्तोत्र मानता है |

परन्तु सनातन धर्म ब्रह्माण्ड के लिए और उसके विकास के लिए एक लम्बा शाफ़्ट(मोटे पाइप) की तरह दिखने वाले शिव लिंग को इस उर्जा का स्तोत्र मानता है | इस लम्बे शिव लिंग के आदि और अंत का भी पता नहीं है| ऐसी मान्यता है कि श्री विष्णु और ब्रह्मा जी ने एक बार इसका आदि और अंत पता लगाने का प्रयास करा था, लकिन असफल रहे | यह अपने आप मैं स्पष्ट संकेत है कि ब्रह्माण्ड का विकास हो रहा है , और ब्रह्मा और विष्णु को भी नहीं मालूम की यह विकास कब तक होता रहेगा |

क्या है वास्तव मैं यह शिव लिंग?

अनेक धारणाए हैं, और समय समय पर जो समाज की आवश्यकताएं थी उसके अनुसार भी कुछ धारणाएं बन गयी हैं |

खुजराओ के मंदिर और उस समय की समस्याओं ने कुछ लोगो मैं यह धारणा उत्पन्न करदी कि परम शिव लिंग जननांग है, तो अधिकाँश विश्व ने इसको पूजनीय शुभ चिन्ह माना, और कुछ ने इसे शिव-पार्वती की सकारात्मक उर्जा का प्रतीक माना |

विज्ञान यह मानता है की उर्जा जो आई और जो प्रयोग होई, उसका संतुलन होता है , और संभवता यहीं विज्ञान की सीमाएं हैं | शिव लिंग उस उर्जा का स्तोत्र है जो की पूरे प्रह्मांड मैं अनंत श्रीश्तियों(GALAXIES) को उत्साहित रखता है, उर्जा से युक्त रखता है , और ब्रह्माण्ड के विकास को भी उर्जा प्रदान करता है | यह ‘equation of energy’ मैं संतुलित नहीं हो सकता | इसका स्तोत्र विज्ञान नहीं है इश्वर है, शिव हैं , जो इस पृथ्वी पर कृपा करके हिमालय पर निवास करते हैं |

वैसे भी शिवलिंग का प्रतीक, जहाँ भी है, एक स्तोत्र है जो पृथ्वी से जुड़ा हुआ है और पृथ्वी और ब्रह्माण्ड के बीच सकारात्मक उर्जा के लेन देन का प्रबंध करता है | शिव लिंग को सदेव जल चढ़ाया जाता है, क्यूँ ? ताकी उसकी प्रवाहकत्त्व (conductivity) मैं कमी ना आए | आज के सूचना युग में

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