शिवलिंग पूरे ब्रह्माण्ड मैं अनंत श्रीश्तियों को उर्जा से युक्त रखता है, ब्रह्माण्ड के विकास को भी उर्जा प्रदान करता है| यह equation of energy मैं संतुलित नहीं हो सकता| इसका स्तोत्र इश्वर है, शिव हैं ~~ विज्ञानिको के अनुसार ब्रह्माण्ड निरंतर बढ़ रहा है | विज्ञानिक भौतिक मापदंड जानते हैं, ब्रह्माण्ड के विकास को लेकर, उसके अनुसार ही उनका यह मत है | यहाँ उन मापदंडो पर बात नहीं होनी है, यहाँ विज्ञानिक जिस प्रश्न का उत्तर नहीं दे पारहे हैं, या उत्तर देने मैं सकुचा रहे हैं, उस विषय पर बात होनी है | भौतिक विज्ञान के अनुसार, कोइ न कोइ स्तोत्र तो ऐसा होना चाहिए जो इस विकास के लिए उर्जा प्रदान करे |
विज्ञानिक इस बात को मानते हैं कि उर्जा समीकरण को संतुलित होना आवश्यक है(energy equations are to be balanced), यानि कि जितनी उर्जा आई है, उतनी उर्जा का उपयोग भी होगा | इसका उद्धारण हमारा सौर्यमण्डल है, जो पूरी तरह से संतुलित है, स्थिर(stable) है, और उसको इसके लिए उर्जा सूर्य से मिल रही है | चुकी उर्जा का स्तोत्र असीमित नहीं हो सकता, इसलिए विज्ञानिको के अनुसार , सूर्य का धीरे धीरे उर्जा का स्त्रोत समाप्त होता जा रहा है | विज्ञानिको के अनुसार सूर्य जैसे जैसे ‘ठंडा’ होता जाएगा, वोह ज्यादा उर्जा सौर्यमण्डल मैं छोड़ेगा और पूरे सौर्यमण्डल को अधिक गरम करेगा | पढ़ें: Life of the Sun
वैज्ञानिक यह तो मानते हैं कि ब्रह्माण्ड निरंतर बढ़ रहा है , लकिन यह बताने मैं असमर्थ हैं की इस