हिन्दू मंदिर के 10 रहस्य जानकर आप हो जाएंगे हैरान Importance of Temples in Hinduism

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हिन्दू मंदिर के 10 रहस्य जानकर आप हो जाएंगे हैरान Importance of Temples in Hinduism

।।ॐ।। ।।यो भूतं च भव्‍य च सर्व यश्‍चाधि‍ति‍ष्‍ठति‍।

स्‍वर्यस्‍य च केवलं तस्‍मै ज्‍येष्‍ठाय ब्रह्मणे नम:।। -अथर्ववेद 10-8-1

भावार्थ : जो भूत, भवि‍ष्‍य और सब में व्‍यापक है, जो दि‍व्‍यलोक का भी अधि‍ष्‍ठाता है, उस ब्रह्म (परमेश्वर) को प्रणाम है। वही हम सब के लिए प्रार्थनीय और वही हम सबके लिए पूज्यनीय है।

हिन्दुओं ने मंदिर बनाकर कब से पूजा और प्रार्थना करना शुरू किया? आखिर हिन्दू मंदिर निर्माण की शुरुआत कब हुई और क्यों? मंदिर की प्राचीनता के प्रमाण क्या हैं? क्या प्राचीनकाल में हिन्दू मंदिरों में मूर्ति की पूजा होती थी? नहीं होती थी तो फिर मंदिर में क्या होता था?

वेद काल में न तो मंदिर थे और न ही मूर्ति। वैदिक समाज इकट्ठा होकर एक ही वेदी पर खड़े रहकर ब्रह्म (ईश्वर) के प्रति अपना समर्पण भाव व्यक्त करते थे। इसके अलावा वे यज्ञ के द्वारा भी ईश्वर और प्रकृति तत्वों का आह्वान और प्रार्थना करते थे। शिवलिंग की पूजा का प्रचलन प्राचीनकाल से ही होता आ रहा है। शिवलिंग पूजन के बाद धीरे-धीरे नाग और यक्षों की पूजा का प्रचलन हिन्दू-जैन धर्म में बढ़ने लगा। बौद्धकाल में बुद्ध और महावीर की मूर्ति‍यों को अपार जन-समर्थन मि‍लने के कारण राम और कृष्ण की मूर्तियां बनाई जाने लगीं।

माना जाता है कि प्राचीनकाल में देवी या देवताओं के पूजास्थल अलग होते थे और प्रार्थना-ध्यान करने के लिए स्थल अलग होते थे। वैदिक काल में वैदिक ऋषि जंगल के अपने आश्रमों में ध्यान, प्रार्थना और यज्ञ करते थे। हालांकि लोक जीवन में मंदिरों का महत्व उतना नहीं था जितना आत्मचिंतन, मनन और शास्त्रार्थ का था। फिर भी आम जनता इंद्र, विष्णु, लक्ष्मी, शिव और पार्वती के अलावा नगर, ग्राम और स्थान के देवी-देवताओं की प्रार्थना करते थे। बहुत से अन्य समुदायों में शिव और पार्वती के साथ यक्ष, नाग, पितर, ग्रह-नक्षत्र आदि की पूजा का भी प्रचलन था।

वैदिक काल में ही चार धाम और दुनियाभर में ज्योतिर्लिंगों की स्थापना के साथ ही प्रार्थना करने के लिए भव्य मंदिरों का निर्माण किया गया। समय-समय पर इनका स्वरूप बदलता रहा और कर्मकांड भी। आओ जानते हैं हिन्दू मंदिरों के बारे में ऐसी जानकारी जिसे जानकर आप रह जाएंगे हैरान!

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