अमरनाथ यात्रा का इतिहास

अमरनाथ जाने के दो मार्ग हैं। पहला पहलगाम होकर और दूसरा सोनमर्ग बालटाल से। जम्मू या श्रीनगर से पहलगाम या बालटाल बस या छोटे वहन से पहुंचना पड़ता है। उसके बाद आगे पैदल ही जाना पड़ता है। कमज़ोर और वृद्धों के लिए खच्चर और घोड़े की व्यवस्था रहती है। पहलगाम से जानेवाला रास्ता सरल और सुविधाजनक है।

बालटाल से पवित्र गुफा की दूरी हालांकि केवल 14 किलोमीटर है, परंतु यह सीधी चढ़ाई वाला बहुत दुर्गम रास्ता है, इसलिए सुरक्षा की नज़रिए से ठीक नहीं है, इसलिए इसे सेफ नहीं माना जाता। लिहाज़ा, ज़्यादातर यात्रियों को पहलगाम से जाने के लिए कहा जाता है। हालांकि रोमांच और ख़तरे से खेलने के शौकीन इस मार्ग से जाना पसंद करते हैं। इस रास्ते से जाने वाले लोग अपने रिस्क पर यात्रा करते हैं। किसी अनहोनी की ज़िम्मेदारी सरकार नहीं लेती है।

दरअसल, श्रीनगर से पहलगाम 96 किलोमीटर दूर है। यह वैसे भी देश का मशहूर पर्यटन स्थल है। यहां का नैसर्गिक सौंदर्य देखते ही बनता है। लिद्दर और आरू नदियां इसकी ख़ूबसूरती में चार चांद लगाती हैं। पहलगाम का यात्री बेस केंप छह किलोमीटर दूर नुनवन में बनता है। पहली रात भक्त यहीं बिताते हैं। दूसरे दिन यहां से 10 किलोमीटर दूर चंदनबाड़ी पहुंचते हैं।

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