माँ कामाख्या का परिचय देने की आवश्यकता नहीं है, पूरे विश्व में माँ के भक्त है। माँ कामाख्या जगत जननी है अर्थात् सम्पूर्ण जगत की माता है, जगत प्रसूता है। देवी देवता भी माँ की भक्ति करते हैं। पृथ्वी प्रकृति स्वरूप में स्वयं शक्ति ही है। असम गुवाहाटी में नीलांचल पर्वत पर माँ कामाख्या का बहुत सुन्दर और अति प्राचीन मंदिर है। यह दिव्य स्थान माँ आदि शक्ति के शक्ति पीठों में प्रमुख शक्ति पीठ है यहाँ माँ की महामुद्रा स्थापित है इसलिये यह गुप्त पीठ भी है।
प्रतिवर्ष एक विशिष्ट समय में माँ यहाँ रजस्वला होती है और उस समय माँ के मंदिर के कपाट बंद कर दिये जाते हैं और कामाख्या धाम में बड़ा उत्सव मनाया जाता है, जिसमें देश-विदेश से माँ के भक्त, साधू-संत माँ की भक्ति व कृपा प्राप्त करने कामाख्या आते है। कामाख्या सभी इच्छाओं को पूर्ण करने वाली देवी है। उसके स्थान से कोई निराश नहीं जाता है यह तो मेरा निजी अनुभव है। ऐसे बहुत से माँ के भक्त है जिन्हें मैंने वैसे ही माँ कामाख्या जाने को कहा और वहाँ से आकर उनके बड़े-बड़े कार्य सिद्ध हो गये। इसका कारण यह है की यह स्थान पूर्णतः जागृत और सिद्ध है।
मेरी साधनाओं को एक नयी दिशा की प्राप्ति कामाख्या जाने के बाद ही मिली। साधना करना एक बात है और उन में सफलता प्राप्त करना दूसरी। साधना में पूर्णतः और सफलता है कामाख्या। आप चाहे शिव की साधना कर रहें है या विष्णु की या शक्ति की, इनकी सिद्धि यहाँ बहुत कम समय में हो जाती है।
यदि साधक यहाँ विशेष रूप से उस समय साधना करें जब माँ कामाख्या रजस्वला होती है तो मात्र तीन दिनों में ही साधक को वो प्राप्त हो जाता है जिसकी प्राप्ति 12 वर्ष की कठोर साधना के उपरान्त होती है। यह माँ कामाख्या का प्रत्यक्ष चमत्कार ही तो है।
कल अर्थात् 22 जून 2020 को वह पवित्र काल प्रारम्भ होगा, जिसमें माँ रजस्वला होगी। आषाढ़ माह में जब आद्रा नक्षत्र लगता है तो यह बनता है माँ कामाख्या का अंबुवाची महायोग। इसी महायोग में साधना का विशेष महत्व है।
इस वर्ष यह महायोग 22 जून से 26 जून तक है।
अंबुवाची महायोग प्रवृति होगी 22 जून सोमवार सुबह 7:53 मिनट पर और निवृत्ति होगी 25 जून गुरुवार रात्रि 8:16 मिनट पर। तदुपरांत 26 जून माँ के कपाट पुनः खुल जायेंगे। यही पुण्य काल अंबुवाची महायोग है, जिसमें स्वर्ग के देवता भी माँ की साधना करते है।
इस वर्ष कोरोना महामारी के कारण माँ कामाख्या शक्तिपीठ के स्थाई पुजारियों के को ही माँ की पूजा व दर्शनों की अनुमति है। मुझे भी माँ की कृपा से कई वर्षों तक अंबुवाची में साधना का अवसर प्राप्त हुआ है परन्तु इस वर्ष मैं कामाख्या में उपस्थित होकर माँ की साधना नहीं कर पाऊँगा और मेरी तरह माँ के ऐसे लाखों भक्त है जो कामाख्या नहीं जा पायेंगे।
मैं इस वर्ष कल अंबुवाची महायोग पर अपने स्थान पर ही माँ की साधना करूँगा और मैं ऐसा सोचता हूँ की हर वर्ष माँ ने अपने पास बुलाया इस वर्ष वह स्वयं मेरे पास आयेगी। माँ तो सदैव अपने बच्चों के साथ ही होती है। जितने भी माँ के भक्त निराश है वह अपने अपने स्थान पर वैसे ही साधना करे जैसे पूर्व वर्षों में कामाख्या में करते आयें है, वह अवश्य असीम कृपा करेगी।
सभी को अंबुवाची महायोग की बहुत-बहुत शुभकामनायें…
जय माँ कामाख्या !!
स्वामी शरभेश्वरा नंद भैरव