9 श्लोक
ये यथा मां प्रपद्यन्ते तांस्तथैव भजाम्यहम्।
म वत्र्मानुवर्तन्ते मनुष्या पार्थ सर्वश:।।
अर्थ- हे अर्जुन। जो मनुष्य मुझे जिस प्रकार भजता है यानी जिस इच्छा से मेरा स्मरण करता है, उसी के अनुरूप मैं उसे फल प्रदान करता हूं। सभी लोग सब प्रकार से मेरे ही मार्ग का अनुसरण करते हैं।
मैनेजमेंट सूत्र- इस श्लोक के माध्यम से भगवान श्रीकृष्ण बता रहे हैं कि संसार में जो मनुष्य जैसा व्यवहार दूसरों के प्रति करता है, दूसरे भी उसी प्रकार का व्यवहार उसके साथ करते हैं। उदाहरण के तौर पर जो लोग भगवान का स्मरण मोक्ष प्राप्ति के लिए करते हैं, उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। जो किसी अन्य इच्छा से प्रभु का स्मरण करते हैं, उनकी वह इच्छाएं भी प्रभु कृपा से पूर्ण हो जाती है। कंस ने सदैव भगवान को मृत्यु के रूप में स्मरण किया। इसलिए भगवान ने उसे मृत्यु प्रदान की। हमें परमात्मा को वैसे ही याद करना चाहिए, जिस रुप में हम उसे पाना चाहते हैं।