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Do You Know Who God Is । जानिए भगवान कौन है

gitaupdesh_a_04_09_2015

Do You Know Who God Is : प्राय: यह प्रश्न किया जाता है – भगवान कौन है ? और यह भगवान कहां रहता है ? गीता में कृष्ण ने कहा है – ‘मन की आंखें खोलकर देख, तू मुझे अपने भीतर ही पाएगा’ । भगवान कण – कण में व्याप्त हैं ।‘भगवान’ नाम कब प्रारंभ हुआ ? किसने यह नाम दिया, यह कोई नहीं जानता । जानने का प्रयत्न भी नहीं है । उत्तर खोजना है, तो सृष्टि के प्रारंभ की ओर जाना होगा । जब मानव धरती पर आया, तो भाषा नहीं थी । समाज और परिवार नहीं था । खेत नहीं थे, अनाज नहीं था ।

वस्त्र नहीं थे, पर पेट की भूख थी । भूख शांत करने के लिए कंद, मूल, पशु – पक्षियों का मांस जो मिला, खाया जाता था । अब प्रश्न यह उठ सकता है उसे खाना किसने सिखाया ? यह प्रकृति का वरदान है । धीरे – धीरे मानव बुद्धि का विकास हुआ होगा । बुद्धि के बल पर उसने अनेक प्रकार की संरचनाें की होंगी । आदि मानल ने अनुभव किया होगा कि जन्म और मृत्यु पर उसका अधिकार नहीं । दिन – रात को भी वह रोक नहीं सकता ।

ऋतुएं भी क्रमानुसार आती हैं । इन सब क्रियाओं का जनक कौन है ? कोई तो है ? पर वह दिखाई नहीं देता, इसलिए उसके रूप की कल्पना की जाने लगी.. जल सा निर्मल, चांद सा उज्जवल, सूर्य सरीखा महापराक्रमी, नदी सा वेगवान, बादलों की गर्जना सा आंतक फैलाने वाला आदि । इसी क्रम में पूजा, सेवा, आराधना, उपासना, साधना प्रकाश में आई । अपनी आस्था जताने के लिए उसके लिए हवन किया गया । इसका प्रमाण मिलता है, हवन में आहुति देते समय आहुति किस के नाम के प्रति दी जाती है ।

आदि मानव आहुति के समय कहता है…. कस्मै देवाय हविष: विधेय ? अर्थात् किस देवता के नाम पर आहुति दूं ?शनै: शनै बुद्धि और ज्ञान का विकास हुआ । बुद्धि और ज्ञान के साथ अहम भी जाग्रत हो गया । आज का बुद्धिमान मनुष्य ‘भगवान नाम’ का व्यापार कर रहा है । संभवत: वह स्वयं को अधिक शक्तिशाली समझने की धृष्टता में उलझ गया है ।

प्रभु कभी जल पलायन, कभी भूचाल किसी न किसी रूप में वह मनुष्य को उसका छोटापन जता देता है । गीता में कृष्ण ने कहा है – ‘मन की आंखें खोलकर देख तू मुझे अपने भीतर पाएगा ।’ भगवान कण कण में व्याप्त है । भगवान हमारे भीतर ही विराजमान है, शेष स्थान तो उनको याद दिलाने के चिन्ह मात्र हैं ।

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