क्रिटिक रेटिंग : 3/ 5
स्टार कास्ट : करीना कपूर, सोनम कपूर, स्वरा भास्कर, शिखा तलसानिया और सुमित व्यास
डायरेक्टर : शशांक घोष
प्रोड्यूसर : अनिल कपूर, रिया कपूर, निखिल आडवाणी, एकता कपूर और शोभा कपूर
म्यूजिक : शाश्वत सचदेव और विशाल मिश्रा
जोनर : कॉमेडी ड्रामा
ड्यूरेशन : 122 मिनट
वीरे दी वेडिंग डायरेक्टर शशांक घोष की कॉमेडी ड्रामा फिल्म है। चार लड़कियां कालिंदी पुरी (करीना कपूर), अवनि (सोनम कपूर), मीरा (शिखा तलसानिया) और साक्षी (स्वरा भास्कर) बचपन की दोस्त हैं और दिल्ली के सम्पन्न परिवारों से हैं। चारों अपने-अपने रिलेशन इश्यूज से जूझ रही हैं।
कालिंदी को उसके लिव-इन पार्टनर ऋषभ (सुमित व्यास) ने शादी के लिए प्रपोज किया है, लेकिन वह श्योर नहीं है कि शादी उसके लिए ठीक है या नहीं क्योंकि वह अपने पेरेंट्स के बीच खूब लड़ाई-झगड़ा देख चुकी है। उसे डर लगता है कि शादी के बाद वो बंधनों में बंध जाएगी।
अवनि शादी करना चाहती है, लेकिन उसे परफेक्ट पार्टनर नहीं मिलता। मीरा ने भागकर विदेशी से शादी कर ली है, जिस वजह से पेरेंट्स उससे अलग हो गए हैं। साक्षी का तलाक हो चुका है। चारों इन इश्यूज को कैसे डील करती हैं, यही फिल्म में दिखाया गया है।
वीरे दी वेडिंग का रिव्यू:फिल्म फेमिनिस्ट होने का दावा नहीं करती है और न ही यह है। फिल्म की चारों मुख्य किरदार पूरे टाइम शराब पीती और बातचीत में गाली-गलौच का इस्तेमाल करती नजर आती हैं। डायरेक्टर शशांक घोष की स्टोरी के कई हिस्से खूब एंटरटेन करते हैं।
खासकर वह पार्ट जिसमें प्रिंसेस थीम पर इंगेजमेंट पार्टी चल रही होती है। घोष ने कालिंदी की लाइफ पर जबरदस्त फोकस किया है, जो ऋषभ के परिवार का हिस्सा बनने के लिए संघर्ष करती है, लेकिन सक्सेसफुल नहीं हो पाती। करीना ने अपने किरदार के साथ पूरा न्याय किया है।
स्वरा भास्कर का रोल बाकी की तुलना में बेहतर है। उन्हें फिल्म में डायलॉग्स भी सबसे अच्छे मिले हैं और उन्होंने काम भी जबरदस्त किया है। शिखा का रोल ठीकठाक और सोनम कपूर फिल्म की सबसे कमजोर कड़ी हैं।शशांक घोष को स्टीरियोटाइप तोड़कर महिलाओं को फिल्म में अद्भुत तरीके से दिखाने का क्रेडिट देना चाहिए।
उनके मुख्य किरदार कमजोर हैं और इनमें कमियां भी हैं। लेकिन ये असली हैं। हां, उन्हें फिल्म की कहानी को कुछ और गहराई में ले जाने की जरूरत थी। इसके अलावा फिल्म में कई प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल प्रमोशन के लिए किया गया है, जो सिर्फ कहानी की रफ्तार को तोड़ते हैं।
शाश्वत सचदेव और विशाल मिश्रा का म्यूजिक कहानी के अनुकूल है। तारीफां और भांगड़ा ता सजदा सॉन्ग्स पहले ही फेमस हो चुके हैं। बाकी गाने भी ठीक हैं।फिल्म यंग जनरेशन के लिए है, जो फिल्म के किरदारों के संघर्ष और उनके बीच होने वाले डिस्कशन से खुद को कनेक्ट कर सकते हैं।