क्रिटिक रेटिंग : 1.5 /5
स्टार कास्ट : दीपक डोबरियाल, गुलशन देवैया, जमील खान, रायमा सेन, परवीन डबास, अनुराग अरोड़ा
डायरेक्टर : रेमी कोहली
प्रोड्यूसर : रेमी कोहली
संगीत : अनुज गर्ग
जॉनर : क्राइम ड्रामा मिस्ट्री
पहली बार डायरेक्शन के क्षेत्र में कदम रख रहे रेमी कोहली ने दीपक डोबरियाल, रायमा सेन , गुलशन देवैया जैसे मंजे हुए एक्टर्स के साथ यह फिल्म बनाई है। आइये पता करते हैं कैसी बनी है यह फिल्म।कहानी की शुरुआत तीन गोलियों की आवाज से होती है, जहां एक रैली के दौरान चीफ मिनिस्टर (प्रवीण डबास) को स्टेज पर गोली मार दी जाती है।
गोली चलाने का शक कुलदीप पटवाल (दीपक डोबरियाल) नामक मीडियम क्लास व्यक्ति पर किया जाता है। कुलदीप अपने बचाव में बस यही कहता है की उसने यह क़त्ल नहीं किया है। कहानी में जीतू (जमील खान), इंस्पेक्टर अजय राठोड (अनुराग अरोड़ा) की एंट्री होती है। लोकहित में काम करने वाले वकील प्रदुमन (गुलशन देवैया) को कुलदीप का केस दिया जाता है।
वहीं, चीफ मिनिस्टर की पत्नी (रायमा सेन) खुद ही अपने पति का केस लड़ती हैं। कोर्ट में कई बार वाद-विवाद होते हैं और आखिरकार एक निर्णय सामने आता है, जिसका पता आपको फिल्म देखने के बाद ही चल पाएगा।डायरेक्शन बढ़िया है। छोटे शहर की कहानी दिखाने के लिए लोकेशंस भी काफी अच्छी हैं। बैकड्रॉप के साथ-साथ कैमरा वर्क भी बढ़िया है।
जहां एक्ट्रेस के हाव-भाव अच्छी तरह से नजर आते हैं। फिल्म की पटकथा काफी कमजोर है और लगता ही नहीं की इक्कीसवीं सदी में हम कोई फिल्म देख रहे हैं। फिल्म की रफ़्तार में बार-बार रुकावट इसका फ्लैशबैक लाता है और एक वक्त पर लगता है कि आखिरकार ये सब हो क्या रहा है? पटकथा काफी टाइट होनी चाहिए थी।
कट टू कट बातें होती तो इस मर्डर मिस्ट्री को देखने में और भी ज्यादा मजा आता। फिल्म में कोई गाना नहीं जिसकी वजह से रिलीज से पहले इसका कोई बज नहीं बन पाया है। फिल्म में कुछ जातिगत आरक्षण, अस्पतालों में सुविधाओं की कमी जैसी बातों के बारे में बात कहने की कोशिश की गई है, लेकिन पटकथा सटीक ना हो पाने की वजह से वो भी बातें कंफ्यूसिंग और बेअसर नजर आती हैं।
गुलशन देवैया ने पंजाबी वकील के रूप में जबरदस्त काम किया है। दीपक डोबरियाल ने एक मध्यम वर्ग के किरदार को बढ़िया निभाया है और कहीं कहीं तो ये काफी सरप्राइज भी कर रहे हैं। वहीं, जमील खान, प्रवीन दबाद, रायमा सेन और पुलिस अफसर के रूप में अनुराग अरोड़ा ने भी बढ़िया काम किया है।
फिल्म में गाने तो नहीं हैं लेकिन बैकग्राउंड कोर ठीक ठाक है।जमीनी हकीकत पर आधारित कहानी, गुलशन देवैया या दीपक डोबरियाल के जबरदस्त फैन हैं तो ट्राई कर सकते हैं।