बैनर : इरोज इंटरनेशनल, होप प्रोडक्शंस
निर्माता : आर. बाल्की, आरके डमानी, राकेश झुनझुनवाला, सुनील लुल्ला
निर्देशक : आर. बाल्की
संगीत : इलैयाराजा
गीतकार : इलैयाराजा, मिथुन, मीत ब्रोस अंजन
जोनर : ड्रामा, रोमांस
स्टारकास्ट : करीना कपूर, अर्जुन कपूर, स्वरूप संपत, रजित कपूर और अमिताभ बच्चन व जया बच्चन (कैमियो)
रेटिंग : ढाई स्टार
बॉलीवुड इंडस्ट्री को ‘पा’, ‘इंग्लिश विंग्लिश’जैसी हिट फिल्में दे चुके आर. बाल्की अब अपने चाहने वालों के लिए फिल्म ‘की एंड का’लेकर आए हैं। उन्होंने इस फिल्म के निर्देाशन में रोमांस और कॉमेडी का जोरदार तड़का लगाया है। साथ ही उन्होंने इस फिल्म में दर्शकों के लिए काफी मसाला भी परोसा है।126 मिनट की पूरी कहानी की और का की अहमियत को बताने में लग जाती है।
एक अजब स्टाइल की किया (करीना कपूर) एक बहुत ही बड़ी कंपनी में कार्यरत होती है और उसकी मुलाकात दिल्ली के एक नामचीन बिजनेस मैन के इकलौते बेटे कबीर बंसल (अर्जुन कपूर) से होती है। किया हमेशा ही अपने सपनों को पूरा करने में लगी रहती है और कबीर है कि उसे अपने पिता की बेसुमार दौलत से एक आना भी नहीं चाहिए होता है।
फिर जब किया को पता चलता है कि वाकई में कबीर की सोच बिलकुल जुदा और निराली है तो वह उससे प्यार कर बैठती है। अब किया कमाने में जुट जाती है और कबीर घर को हर तरह से संभालने की जद्दोजहद में लग जाता है। फिर वही पुरानी जलन… उभरकर सामने आती है और कबीर के पिता को पूरा विश्वास हो जाता है कि उनका इकलौता बेटा कबीर महिला ही है।
इसी के साथ फिल्म में दिलचस्प मोड़ आता है और तरह-तरह ट्विस्ट के साथ कहानी आगे बढ़ती है।करीना कपूर ने फिल्म में गजब अभिनय किया है। वे अपने रोल की तह तक जाती दिखीं। वहीं अर्जुन कपूर भी करीना का भरपूर साथ दिखाई दिए। साथ ही स्वरूप संपत और रजित कपूर भी अपने-अपने किरदारों में शत-प्रतिशत देते से नजर आए। इसके अलावा अमिताभ बच्चन और जया बच्चन अपनी कुछ देर की फुटेज में ही बाजी मारते नजर आए।
आर. बाल्की हमेशा ही अपने जुदा अंदाज में बी-टाउन को फिल्में देते हैं। उन्होंने रोमांटिक, कॉमेडी फिल्म के निर्देशन की कमाल संभालने में कोई कोर-कसर बाकी नहीं रखी है। हालांकि उन्होंने फिल्म में रोमांस का जबरदस्त तड़का तो जरूर लगाया, लकिन कहीं न कहीं वे कॉमेडी में कुछ और बेहतर कर सकते थे। वैसे बाल्की ने कुछ अलग करने का भरसकर प्रयास किया है, जिसकी वजह से ऑडियंस की वाहवाही लूटने में काफी हद तक सफल रहे।
भले ही कहीं-कहीं पर इसकी स्क्रिप्ट थोड़ी डगमगाती सी दिखाई दी, लेकिन इसकी कहानी ऑडियंस को आखिर तक बांधे रखने में सफल भी रही। बहरहाल, ‘सभी मर्द सोच रहे हैं कि वे भी घर बैठे-बैठे ही स्टार बन जाएंगे…’और ‘मोहब्बत है ये जी हजूरी नहीं…’जैसे कई डायलॉग्स काबिल-ए-तारीफ रहे, लेकिन अगर सिनेमेटोग्राफी और टेक्नोलॉजी अंदाज को छोड़ दिया जाए तो इसकी स्क्रिप्ट कुछ खास करने में थोड़ी सी असफल रही।करीना कपूर और अर्जुन कपूर की बड़े पर्दे पर केमिस्ट्री देखने के प्रेमी सिनेमाघरों की ओर बेझिझक रुख कर सकते हैं। इसके अलावा आपको कुछ नयापन भी दिखाई देगा।