महमूद फारूकी को दिल्ली हाई कोर्ट ने बलात्कार के एक मामले में बरी कर दिया है. उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के उस आदेश को दरकिनार कर दिया जिसमें फारूकी को एक अमेरिकी शोधार्थी के साथ कथित बलात्कार करने के जुर्म में सात साल जेल की सुनाई गई थी. अदालत ने आदेश दिया कि तिहाड जेल में बंद महमूद फारूकी को तत्काल रिहा किया जाए.
कोर्ट ने महमूद को बेनिफिट ऑफ डॉउट दिया है.कोर्ट ने कहा है कि दोनों के बीच शारीरिक संबंध आपसी सहमति से बनाया गया था या फिर जबरन इसमें डॉउट है, इसलिए उन्हें बरी कर दिया जाए. फिलहाल वह तिहाड़ जेल में बंद हैं. बता दें, अगस्त 2016 में महमूद को साकेत कोर्ट ने रेप के मामले में दोषी करार दिया था.
मामले में उनको 7 साल की सजा सुनाई गई थी और साथ में 50 हजार का जुर्माना भी लगाया गया था. हालांकि, पीड़िता ने उन्हें उम्रकैद देने की मांग की थी लेकिन इस मांग को खारिज कर दिया गया था. पीड़िता की मांग को इस आधार पर खारिज कर दिया गया था कि बलात्कार के उन मामलों में अधिकतम सजा उम्रकैद दी जाती है जिनमें गैंगरेप या नाबालिग के साथ रेप किया गया हो, लेकिन फारूकी के मामले में किसी तरह की कोई बर्बरता नहीं की गई थी.
पीड़िता ने आरोप लगाया था कि 28 मार्च 2015 को फारूकी ने उसे अपने घर बुलाकर उसके साथ रेप किया था. 35 वर्षीय अमेरिकी लड़ी कोलंबिया यूनिवर्सिटी की छात्रा थी और अपनी रिसर्च की थीसिस पूरा करने के लिए वह 2014 से भारत में रह रही थी. पीड़िता ने यह आरोप भी लगाया कि फारुकी ने रेप के अलावा उसे डराया-धमकाया भी ताकि वह पुलिस में शिकायत न करे.