इरफान खान ने ट्वीट कर अपनी दुर्लभ बीमारी के बारे में खुलासा किया। उन्होंने बताया कि मुझे न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर है। इस बीमारी के इलाज के लिए इरफान देश से बाहर हैं। हालांकि, उन्होंने यह साफ नहीं किया है कि बीमारी शरीर के किस हिस्से और किस स्टेज में है? और यह घातक है या नहीं? उन्होंने यह जरूर कहा है कि न्यूरो संबंधी बीमारी हमेशा दिमाग में ही नहीं होती।
इससे पहले इरफान ने 5 मार्च को ट्वीट कर एक दुर्लभ बीमारी से ग्रस्त होने की जानकारी दी थी। उसके बाद से उनकी सेहत को लेकर तरह-तरह की अटकलें लग रही थीं। यहां तक कहा गया था कि उन्हें ब्रेन कैंसर है। हालांकि, बॉलीवुड की सेलिब्रिटीज और फिल्म समीक्षक कोमल नाहटा ने इन खबरों को गलत बताया था।
एप्पल के संस्थापक स्टीव जॉब्स को भी यही बीमारी थी। उन्हें पैंक्रियाज में न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर था। 51 साल के इरफान खान ने शुक्रवार को ट्वीट कर उनकी बीमारी को लेकर लग रहे कयास पर विराम लगा दिया।उन्होंने अपनी बात की शुरुआत मार्गेरेट मिशेल के विचार से की। उन्होंने लिखा जिंदगी पर इस बात का आरोप नहीं लगाया जा सकता कि इसने हमें वह नहीं दिया जिसकी हमें उससे उम्मीद थी।
पिछले कुछ दिनों में मैंने सीखा है कि अचानक सामने आने वाली चीजें हमें जिंदगी में आगे बढ़ाती हैं। मुझे न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर होने का पता चला। इसे स्वीकार करना आसान नहीं है, लेकिन मेरे आसपास मौजूद लोगों के प्यार और मेरी इच्छाशक्ति ने मुझे उम्मीद दी है।आप सभी मेरे लिए दुआएं कीजिए। इस बीच उड़ी अफवाहों की बात करूं तो न्यूरो शब्द का इस्तेमाल हमेशा ब्रेन के लिए ही नहीं होता और रिसर्च के लिए गूगल से आसान रास्ता नहीं है।
जिन लोगों ने मेरे लिखने का इंतजार किया, उम्मीद है उन्हें बताने के लिए कई कहानियों के साथ लौटूंगा।इरफान खान ने 5 मार्च को ट्वीट कर खुद इसकी जानकारी दी थी। उन्होंने कहा था- कभी-कभी आप एक झटके से जागते हैं। पिछले 15 दिन मेरे जीवन की सस्पेंस स्टोरी है। मैं दुर्लभ बीमारी से पीड़ित हूं। मैंने जिंदगी में कभी समझौता नहीं किया।
मैं हमेशा अपनी पसंद के लिए लड़ता रहा और आगे भी ऐसा ही करूंगा।मेरा परिवार और दोस्त मेरे साथ हैं। हम बेहतर रास्ता निकालने की कोशिश कर रहे हैं। जैसे ही सारे टेस्ट हो जाएंगे, मैं आने वाले दस दिनों में अपने बारे में बात दूंगा। तब तक मेरे लिए दुआ करें।न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर उस अवस्था को कहते हैं, जिसमें शरीर में हार्मोन पैदा करने वाले न्यूरोएंडोक्राइन सेल्स बहुत अधिक या कम हार्मोन बनाने लगती हैं।
इस ट्यूमर को कारसिनॉयड्स भी कहते हैं।यह शरीर के कई हिस्सों में हो सकता है, जैसे कि लंग्स, गेस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट, थायरॉयड या एड्रिनल ग्लैंड। ट्यूमर शरीर के किस हिस्से में है, इसके आधार पर इसका प्रकार तय होता है। वहीं, अगर बीमारी का पता वक्त से लग जाए तो इलाज संभव है।