अगर इंसान का पुनर्जन्म हो सकता है तो सिनेमा का भी पुनर्जन्म संभव है। पुरानी थीम को उठा कर नया सिनेमा गढ़ा जा सकता है। भले ही चेहरे बदल दिए जाएं। एक पहेली… लीला पुनर्जन्म की कहानी है। जिसमें थोड़ा-सा रहस्य है और ज्यादातर ऊब है। अगर इसमें सनी लियोनी के ग्लैमर की गोंद न हो तो आपके कुर्सी से चिपके रहने का कोई कारण नहीं बनता। परंतु इस ग्लैमर में अब पहले वाली बात नहीं है। तमाम तरह से सजाने-संवारने के बावजूद मेक-अप के पीछे की सच्चाई कई जगहों पर उजागर हो जाती है।
लीला की कहानी आखिरी के कुछ मिनटों को छोड़ कर निराश करती है। पुनर्जन्म के दौरान इसके किरदार 300 बरसों की यात्रा तो करते हैं, मगर उनकी कहानी बेहद संकुचित और थ्रिल-विहीन है। लंदन में रहने वाली सुपर मॉडल मीरा (सनी लियोनी) एक शूट के सिलसिले में हिंदुस्तान आती है और यहां जोधपुर के राजकुमार रणवीर (मोहित अहलावत) से उसे प्यार हो जाता है। फिर चटमंगनी और पट ब्याह।
कहानी में ट्विस्ट यह कि मुंबई की म्यूजिक इंडस्ट्री स्ट्रगल कर रहे करन (जय भानुशाली) को ऐसा सपना बार-बार आता है जिसमें एक आदमी दूसरे को हंटर से पीट रहा है। सपने में एक लड़की भी उसे दिखती है, लीला (सनी लियोनी)। करन एक नाड़ीशास्त्री की मदद से सपने की व्याख्या को समझते हुए जोधपुर पहुंचता है। वहां मीरा से मिलता है और उसे बताता है कि वह पिछले जन्म की लीला है।