यूँ तो मैं पैदा गाँव में ही हुआ था,लेकिन पिता जी की सरकारी नौकरी कह लीजिए या मेरा अपनी माँ के प्रति अगाध प्रेम की वजह , मै पांच वर्ष की अवस्था में शहर आ गया था | यानि पिताजी ने मेरा नामांकन शहर के प्रतिष्ठित विद्यालय में करवा दिया था ,फलतः अब मै अपनी माँ के साथ, पिताजी के साथ रहता था |शुरू से ही मुझे स्कूल एक यातनागृह लगता था ,वहां तो खैर किसी तरह चला …
Read More »विचार
हां, मैंने वोट नहीं डाला
मुझे 18 साल की उम्र में वोट डालने का अधिकार मिल गया था. मैंने एक-दो बार वोट डाला भी, लेकिन अब की बार मैंने वोट नहीं डाला, आगे डालना भी नहीं चाहता. चुनाव आयोग, सरकार, राजनीतिक दल, तमाम एनजीओ सभी चाहते थे कि मैं वोट डालूं लेकिन मैंने वोट नहीं डाला. और मैं इस अपराध के लिए शर्मिंदा भी नहीं …
Read More »दस सालः भारी गुज़रती है रात
गुजरात दंगों के दस साल बीत गए. भारतीय इतिहास के माथे पर लगी इस कालिख को कौन भुला सकता है. शिवप्रसाद जोशी उठा रहे हैं कुछ सवाल जो हमेशा से प्रासंगिक रहे हैं – गुजरात. दस साल से जैसे एक रात में सोए हुए हों और हड़बड़ाकर उठे फिर सो गए हों. नींद नींद नींद. एक बेसुधी. रेहान फ़ज़ल को …
Read More »समय की धुंध में खोया मोची
लोगों को एक स्थान से दूसरी जगह ले जाते हैं पैर। यदि थोड़ी देर चलने पर ही आपके पैर दर्द भरी चुभन से जवाब दे जाएं तो आप क्या करेंगेघ् आपकी कोमल त्वचा के बेशकीमती पैरों पर आपका शरीर टिका हुआ हैए और इस महत्वपूर्ण भाग को महफूज रखने की जिम्मेदारी है फुटवियर की। फुटवियर का काम करने वाले मोची …
Read More »भगवान हो रहा अमीर पे अमीर…
अभी दो दिन पहले ही खबर सुनी थी कि, १० दिनों में देश के अमीर मंदिर ट्रस्ट शिर्डी के साईं बाबा पर १४ करोड़ से ज्यादा का चढ़ावा , चढ़ावा गया। हमारे देश में भले ही गरीबों की संख्या बड़ रही हो किन्तु भगवान हफ्ते दर हफ्ते अमीर और अमीर होता जा रहा है ! इससे पहले भी कर्नाटक की …
Read More »क्या कहा ?….. " किसान दिवस "……..?
मैंने तो आज तक किसानों के बारे में सिर्फ बचपन में किताबों में पढ़ा था कि , भारत एक कृषि प्रधान देश है और भारत के गावों में देश की शान किसान निवास करते हैं ! हमेशा यही सुनते आये कि , किसान नहीं तो भारत नहीं ! किसान अगर नहीं होगा तो इस देश में कुछ नहीं होगा ! …
Read More »क्या कहा ?….. ” किसान दिवस “……..?
मैंने तो आज तक किसानों के बारे में सिर्फ बचपन में किताबों में पढ़ा था कि , भारत एक कृषि प्रधान देश है और भारत के गावों में देश की शान किसान निवास करते हैं ! हमेशा यही सुनते आये कि , किसान नहीं तो भारत नहीं ! किसान अगर नहीं होगा तो इस देश में कुछ नहीं होगा ! …
Read More »हम नहीं चाहते कि, ये लड़ाई कभी बंद हो
वैसे देखा जाय तो इस देश को हम ही चला रहे हैं और आने वाले हजार सालों तक हम ही इस देश को चलाएंगे ! देखा जाय तो , देश तो अपने आप ही चल रहा है , हमने तो इस देश की लुटिया पहले भी कई बार डुबोई है और आज भी पूरी कोशिश में हम सब लगे हुए …
Read More »बहुराष्ट्रीय कंपनियों का मायाजाल
भारत में लोकतन्त्र की पूरी तरह से हत्या हो चुकी है सभी स्तंभ ढह चुके है लेकिन वे ऐसा ढोंग कर रहे है जैसे कुछ नहीं हुआ इस लोकतन्त्र के शरीर मे कंपनी तंत्र घुस गया है और ये कंपनी-तंत्र जवाहरलाल के समय से शुरू हुआ है काफी दबाव से ईस्ट इंडिया कंपनी को भारत से खदेड़ा लेकिन 126 विदेशी कंपनीया …
Read More »मनमोहन तुम कब जाओगे?
मित्रों,अनिद्रा की बीमारी बहुत पुरानी है.कम-से-कम पाँच सौ साल पुरानी तो है ही.कबीर को भी थी,पूरी दुनिया की चिंता जो बेचारे सिर पे उठाए फिरते थे.कबीर रो रोकर कहते फिरते थे-सुखिया सब संसार है खावै अरु सोवै;दुखिया दास कबीर है जागै अरु रोवै.रोते-रोते और जागते-जागते उनकी ज़िन्दगी में एक दिन ऐसा भी आया जब इसका बुरा असर उनकी सेहत पर …
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