गुज़रे दिनों की भूली हुई बात की तरह, आँखों में जागता है कोई रात की तरह, उससे उम्मीद थी की निभाएगा साथ वो, वो भी बदल गया मेरे हालात की तरह ।
Read More »शायरी
मंज़िल मिल ही जाएगी
मंज़िल मिल ही जाएगी एक दिन भटकते भटकते ही सही, गुमराह तो वो हैं जो डर के घर से निकलते ही नहीं, खुशियां मिल जायेंगी एक दिन रोते रोते ही सही, कमज़ोर दिल तो वो हैं जो हँसने की कभी सोचते ही नहीं।
Read More »अन्तिम चाहत
अपने आँगन में.. छोटे से पौधे पर खिली कली को जब देखा मैने, मन मुस्कुराया, तन लहराया, कल कैसा रंग लेकर खिलेगी यह। आँगन मे किलकारियाँ भरेगी यह। वह खिली, आँगन महका.. फूल बनी, भंवरे मंडराने लगे, मीठे गीत गाने लगे। यह क्या, हर किसी की नज़र उस पर ही टिकने लगी। उसकी सुन्दरता हर किसी के मन में बसने …
Read More »मुझको ऐसा दर्द
मुझको ऐसा दर्द मिला जिसकी दवा नहीं, फिर भी खुश हूँ मुझे उस से कोई गिला नहीं, और कितने आंसू बहाऊँ उस के लिए, जिसको खुदा ने मेरे नसीब में लिखा ही नहीं…
Read More »खुशबू बिखेरती हुई
खुशबू बिखेरती हुई गुलाब की कलि हो, तितली सी उड़ती हुई नाजों से पली हो, संगमरमरी बदन लिए सांचे में ढली हो, कितनों को लूट लिया तुम वो मन चली हो..
Read More »बरसो की चाहत
बरसो की चाहत को बदलते देखा, चाहने वालो को मुकरते देखा, कैसे सजाऐं फकीरा मुहब्बत का जहाँ, हर सपने को टुट के बिखरते देखा…
Read More »रिश्तों की यह दुनिया
रिश्तों की यह दुनिया है निराली, सब रिश्तों से प्यारी है दोस्ती तुम्हारी, मंज़ूर है आँसू भी आखो में हमारी, अगर आजाये मुस्कान होंठ पे तुम्हारी।
Read More »जिन्दगीं में
जिन्दगीं में उस का दुलार काफी हैं, सर पर उस का हाथ काफी हैं, दूर हो या पास…क्या फर्क पड़ता हैं, माँ का तो बस एहसास ही काफी हैं !
Read More »चढ़दे सूरज
चढ़दे सूरज ढलदे देखे, बुझदे दीवे बलदे देखे । हीरे दा कोइ मुल ना जाणे, खोटे सिक्के चलदे देखे । जिना दा न जग ते कोई, ओ वी पुत्तर पलदे देखे । उसदी रहमत दे नाल बंदे, पाणी उत्ते चलदे देखे । लोकी कैंदे दाल नइ गलदी, मैं ते पत्थर गलदे देखे । जिन्हा ने कदर ना कीती रब दी, …
Read More »शायरी – मुझे देखते ही हर निगाह पत्थर सी क्यूँ हो गई
अब जानेमन तू तो नहीं, शिकवा-ए-गम किससे कहें या चुप रहें या रो पड़ें, किस्सा-ए-गम किससे कहें मुझे देखते ही हर निगाह पत्थर सी क्यूं हो गई जिसे देख दिल हुआ उदास,हैं आंखें नम,किससे कहें इस शहर की वीरां गुलशनें, हैं फूल कम, कांटे कई दामन मेरा छलनी हुआ, हम दर्दो-गम किससे कहें कोई रहगुज़र तो देर तक टिकता नहीं …
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