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चलावे तीर नज़र दे, जिगर तो पार हो जावे,
सलोनी सांवरी सूरत, मोहन नाल प्यार हो जावे ।
जरा पर्दा हटा के आमने इक बार हस जांदा,
ना कडेया जावे दिल विचो, इश्क दा वार हो जावे ।
चलावे तीर नज़र दे…
नज़ारा कर लवे कोई जे मेरे बांके बिहारी दा,
नजारा कर लवे कोई, मेरे रसिक बिहारी दा,
तरसदीया ने मुद अँखियाँ कदे दीदार हो जावे ।
चलावे तीर नज़र दे…
ना चंगी लगदी इस दुनिया दी झूठी शान ते शौहरत,
मिटन नू श्याम दे दर ते दीवाना तैयार हो जावे ।
चलावे तीर नज़र दे…
मैं लब लब हो गयी पागल, तू आवे क्यों ना मनमोहन,
गोपाली ठाकुर मिल जावे, जे दिल दी पुकार हो जावे ।
चलावे तीर नज़र दे…
स्वर – चित्र विचित्र
श्रेणी – कृष्ण भजन
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