यूक्रेन के साथ रक्षा सौदे में घोटाले का राहुल गांधी ने लगाया आरोप

राहुल गांधी ने वायुसेना के ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट के कलपुर्जों (पार्ट्स) की खरीद में नए घोटाले का आरोप लगाया। कांग्रेस अध्यक्ष ने एक मीडिया रिपोेर्ट के हवाले से कहा यूक्रेन के साथ एएन-32 डील में रक्षा मंत्रालय के एक अफसर को करोड़ों डॉलर की रिश्वत दी गई। हालांकि, रक्षा मंत्रालय ने इस रिपोर्ट को बेबुनियाद बताया है।

सफाई में कहा कि खबर में दुबई की जिस कंपनी का नाम लिया गया है, उससे सरकार या वायुसेना ने कोई करार किया ही नहीं है। राहुल ने ट्वीट में लिखा कि खुद को चौकीदार बताने वाले नरेंद्र मोदी अब भ्रष्ट अफसर पर कार्रवाई करें। एक अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, यूक्रेन की एंटी करप्शन एजेंसी रक्षा सौदे में कथित घोटाले की जांच कर रही है।

उसे मंत्रालय के अफसर को 17.5 करोड़ रिश्वत दिए जाने का शक है। एजेंसी ने इसके लिए भारत सरकार से रक्षा सौदे का ब्यौरा मांगा है।राहुल गांधी ने ट्वीट में लिखा भारत के (मोदी) अफसर और रक्षा मंत्रालय के एक अफसर पर करोड़ों डॉलर की रिश्वत के आरोप लगे हैं। उसे एएन-32 सौदे में दुबई के रास्ते यूक्रेन सरकार से रिश्वत मिली।

खुद को चौकीदार बताने वाले मोदी जी, मैं आपसे मांग करता हूं कि इस भ्रष्ट अफसर के खिलाफ तत्काल कड़ी कार्रवाई करें।इस पोस्ट के साथ राहुल ने अंग्रेजी अखबार की खबर का लिंक भी शेयर किया। साथ ही उन्होंने अपनी पोस्ट में #BJPDefenceScam हैशटैग का इस्तेमाल भी किया। बता दें कि कांग्रेस अध्यक्ष पहले भी फ्रांस के साथ राफेल विमान सौदे को लेकर भी सवाल उठा चुके हैं।

उधर, कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने मोदी सरकार से 5 सवाल पूछे। कहा कि इनका जवाब देने से वे बच नहीं सकते। सरकार को इस बारे में बताना होगा कि यूक्रेन सरकार के पत्र को अब तक छिपाकर क्यों रखा गया।न्यूज एजेंसी के मुताबिक, रक्षा मंत्रालय ने भ्रष्टाचार से जुड़ी खबर को गुमराह करने वाला बताया है।

बयान में कहा कि यूक्रेन के साथ एएन-32 डील के लिए वायुसेना या रक्षा मंत्रालय की ओर से दुबई की कंपनी के साथ कोई करार नहीं हुआ। न ही उनका कोई प्रतिनिधि यूक्रेन के साथ डील फाइनल करते वक्त मीटिंग में मौजूद था।मंत्रालय ने कहा कि भारत और यूक्रेन के बीच अंतरराष्ट्रीय संधि के मुताबिक, उन्होंने लेटर में कुछ सवालों के जवाब मांगे हैं।

इसमें किसी भारतीय अधिकारी पर कोई आरोप नहीं लगाए गए हैं। इसमें सिर्फ भारत सरकार से कानूनी मदद मांगी गई है।एक अंग्रेजी अखबार ने अपनी रिपोर्ट में वायुसेना के लिए कलपुर्जों की खरीद में रिश्वतखोरी का दावा किया है। इसके मुताबिक, एएन-32 के पार्ट्स के सौदे में भारतीय रक्षा मंत्रालय के एक अफसर को 17.55 करोड़ की रिश्वत दिए जाने का शक है।

26 नवंबर, 2014 को वायुसेना मुख्यालय में यूक्रेन की कंपनी और वायुसेना के बीच कलपुर्जे सप्लाई के लिए करार हुआ था। इसके बाद यूक्रेन की कंपनी ने इसे पूरा करने के लिए दुबई की अन्य कंपनी से करार किया।रिपोर्ट में कहा गया है कि यूक्रेन की एंटी करप्शन एजेंसी कथित भ्रष्टाचार की जांच कर रही है। इसके लिए उसने पिछले दिनों आधिकारिक तौर पर भारत सरकार से मदद मांगी थी और सौदे का ब्यौरा देने के लिए कहा।

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