चीन के वन रोड वन बेल्ट प्रोजेक्ट पर ब्रिटेन ने चिंता जताते हुए इसका समर्थन करने से इनकार कर दिया है। साथ ही तय किया है कि इससे संबंधित मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग (एमओयू) पर दस्तखत नहीं करेगा। बताया जा रहा है कि इस प्रोजेक्ट के ग्लोबल स्टैंडर्ड और चीन के राजनीतिक मकसद को लेकर ब्रिटेन को शक है।
बता दें कि इस न्यू सिल्क रोड का चीन 2013 से ही जोरदार प्रमोशन कर रहा है।रिपोर्ट के हवाले से लिखा है कि प्रधानमंत्री थेरेसा मे ने 900 अरब डॉलर के इस प्रोजेक्ट का औपचारिक तौर पर समर्थन नहीं किया है। उन्हें इसकी वजह से साइबर सिक्युरिटी की भी चिंता है।
रिपोर्ट में कथित तौर ब्रिटिश गवर्नमेंट के सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि सरकार ने इस एमओयू पर दस्तखत न करने का फैसला किया है।बता दें कि दुनियाभर के तमाम एनालिस्ट इस प्रोजेक्ट को चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के निजी प्रोजेक्ट के तौर पर देखते हैं।
थेरेसा मे प्रधानमंत्री बनने के बाद अपने पहले चीन दौरे पर थीं। इस दौरान उन्होंने चीन को अपना नेचुरल पार्टनल बताया था, लेकिन OBOR का समर्थन नहीं किया।उन्होंने कहा कि दोनों देश आपस मिलकर इस बात की संभावना तलाशेंगे कि पूरे क्षेत्र में बेल्ट और रोड के लिए क्या बेहतर किया जा सकता है। यह भी तय करेंगे कि यह किस तरह ग्लोबल स्टैंडर्ड के तहत हो।
OBOR, प्रेसिडेंट शी जिनपिंग का पसंदीदा प्लान है। इसके तहत चीन पड़ोसी देशों के अलावा यूरोप को सड़क से जोड़ेगा। ये चीन को दुनिया के कई पोर्ट्स से भी जोड़ देगा।एक रूट बीजिंग को तुर्की तक जोड़ने के लिए प्रपोज्ड है। यह इकोनॉमिक रूट सड़कों के जरिए गुजरेगा और रूस-ईरान-इराक को कवर करेगा।
दूसरा रूट साउथ चाइना सी के जरिए इंडोनेशिया, बंगाल की खाड़ी, श्रीलंका, भारत, पाकिस्तान, ओमान के रास्ते इराक तक जाएगा।पाक से साथ बन रहे CPEC को इसी का हिस्सा माना जा सकता है। फिलहाल, 46 बिलियन डॉलर के चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) पर काम चल रहा है। बांग्लादेश, चीन, भारत और म्यांमार के साथ एक कॉरिडोर (BCIM) का प्लान है।
CPEC के तहत पाक के ग्वादर पोर्ट को चीन के शिनजियांग को जोड़ा जा रहा है। इसमें रोड, रेलवे, पावर प्लान्ट्स समेत कई इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट किए जाएंगे।CPEC को लेकर भारत विरोध करता रहा है। हमारा दावा है कि कॉरिडोर पाक के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) से गुजरेगा, तो इससे सुरक्षा जैसे मसलों पर असर पड़ेगा।