चीन ने कहा कि पाकिस्तान आतंकवाद से पूरी ताकत से लड़ रहा है और कुछ देशों को उसे इसके लिए पूरा क्रेडिट देना चाहिए। चीन फॉरेन मिनिस्टर वान्ग यी ने कहा पाकिस्तान एक अच्छा भाई और जिगरी दोस्त है। कोई भी पाकिस्तान को चीन से बेहतर जानता-समझता नहीं है।बता दें कि चीन का ये बयान तब आया है, जब उसने ब्रिक्स समिट के दौरान पहली बार डिक्लेरेशन में पाक बेस्ड टेररग्रुप्स लश्कर-ए-तैयरा और जैश-ए-मोहम्मद का नाम लिया है।
वान्ग एक ज्वाइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोल रहे थे, जिसमें पाकिस्तान के विदेश मंत्री ख्वाजा मुहम्मद आसिफ भी मौजूद थे।ब्रिक्स डिक्लेरेशन का नाम लिए बगैर वान्ग ने कहा आतंकवाद एक ग्लोबल इश्यू है और सभी देशों को मिलकर इसे खत्म करने के लिए कोशिश करनी चाहिए। एक-दूसरे पर आरोप लगाने की बजाय हमें एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करना चाहिए।
कई सालों से पाकिस्तान आतंकवाद का शिकार हो रहा है। सबसे जरूरी बात ये है कि वो आतंकवाद के खिलाफ इंटरनेशनल कोऑपरेशन में हिस्सा ले रहा है। वहां की सरकार और लोगों ने बहुत बड़ी कोशिशें की हैं ताकि आतंकवाद से लड़ा जा सके। ये ऐसी कोशिशें और कुर्बानियां हैं, जिन्हें हर कोई देख सकता है। इंटरनेशनल कम्युनिटी को इसे पहचान देनी चाहिए।
वान्ग ने अमेरिका और इंडिया का नाम लिए बगैर कहा जब बात काउंटरटेररिज्म की आती है तो हमें लगता है कि पाकिस्तान ने अपनी पूरी ताकत से इसके खिलाफ लड़ाई लड़ी है। इसके लिए कुछ देशों को पाकिस्तान को पूरा क्रेडिट देना चाहिए, जिसका वो हकदार है।डॉन न्यूज के मुताबिक, ख्वाजा आसिफ ने कहा-टेररिस्ट ग्रुप्स के खिलाफ ऑपरेशन जर्ब-ए-अज्ब और रद्दुल फसाद के पॉजिटिव नतीजे आए हैं।
ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट (ETIM) के खिलाफ भी नतीजे सकारात्मक मिले। ETIM ना केवल चीन, बल्कि पाकिस्तान के लिए भी खतरा है।बता दें कि चीन शिनजियांग के पश्चिमी इलाके में हुए हमलों के पीछे ETIM का हाथ होने का आरोप लगाता रहा है।ख्वाजा आसिफ ने कहा हम चीन की वन चाइना पॉलिसी का सपोर्ट करते हैं। हम ताइवान, तिब्बत, शिनजियांग और साउथ चाइना सी जैसे मुद्दों पर चीन का सपोर्ट करते हैं।
ब्रिक्स समिट में रीजनल सिक्युरिटी पर चिंता जाहिर किए जाने के बीच पाकिस्तान ने माना कि जैश और लश्कर उसकी जमीन से ऑपरेट कर रहे हैं।PAK फॉरेन मिनिस्टर ख्वाजा आसिफ ने जिओ न्यूज के शो में कहा था कि लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और जैश-ए-मोहम्मद (JeM) जैसे आतंकी संगठन पाकिस्तान की जमीन से ऑपरेट कर रहे हैं। आसिफ ने कहा कि इन संगठनों पर कुछ बंदिशें लगानी चाहिए।
ब्रिक्स देशों की तरफ से जारी डिक्लरेशन में कहा गया था हम तालिबान, लश्करे-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, तहरीके-तालिबान, हक्कानी नेटवर्क, आईएसआईएस, हिज्ब उत-तहरीर, अलकायदा, ईस्टर्न तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट और उज्बेकिस्तान के इस्लामिक मूवमेंट द्वारा क्षेत्र में फैलाई जा रही हिंसा के चलते बिगड़े सुरक्षा हालात पर चिंता जताते हैं।
हम आतंकवाद के सभी रूपों, इससे जुड़े ड्रग ट्रैफिकिंग, मनी लॉन्ड्रिंग और दुनिया समेत ब्रिक्स देशों में हुए सभी आतंकी हमलों की आलोचना करते हैं। आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में हम इंटरनेशनल कोऑपरेशन बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं। इसमें देशों की संप्रभुता का खयाल रखना चाहिए, किसी भी देश के अंदरूनी मामलों में दखल नहीं दिया जाना चाहिए।
ब्रिक्स देश यूएन की जनरल असेंबली की तरफ से कॉम्प्रिहेंसिव कन्वेंशन ऑन इंटरनेशनल टेरेरिज्म (अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर समग्र समझौते) को जल्द ही अंतिम रूप दिए जाने और इसे मंजूर किए जाने की भी मांग करते हैं। ब्रिक्स देश आतंकवाद से मुकाबले और इसके लिए की जा रही फाइनेंसिंग को रोकने के लिए व्यापक नजरिया अपनाएं।
शियामेन में इंडियन फॉरेन मिनिस्ट्री के सेक्रेटरी (ईस्ट) प्रीति सरन ने कहा था आतंकवाद पर आप दोहरा रवैया नहीं अख्तियार कर सकते, इससे निपटने के लिए हमें आज साथ आने की जरूरत है। ब्रिक्स लीडर्स ने देशों से आतंकी नेटवर्क को फाइनेंसिंग और अपने क्षेत्रों में आतंकी कार्रवाईयों को रोकने के लिए कहा है। पहली बार डिक्लरेशन में आतंकी संगठनों की खास लिस्ट का जिक्र किया गया है। डिक्लरेशन के 7 पैराग्राफ्स में आतंकवाद की निंदा की गई।