सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल NOTA पर रोक लगाने से किया इंकार

कांग्रेस को सुप्रीम कोर्ट बड़ा झटका लगा है. गुरुवार को कोर्ट ने गुजरात में होने वाले राज्यसभा चुनाव के दौरान नोटा (NOTA) के प्रयोग को अनुमति देने वाली निर्वाचिन आयोग की अधिसूचना पर स्थगन (स्टे) लगाने से इनकार किया. उच्चतम न्यायालय हालांकि, चुनाव में नोटा (NOTA) का विकल्प देने संबंधी निर्वाचन आयोग की अधिसूचना की संवैधानिक वैधता की समीक्षा करने पर सहमत हुआ.

कोर्ट ने गुजरात राज्यसभा चुनाव में NOTA के इस्तेमाल के खिलाफ गुजरात कांग्रेस की याचिका पर चुनाव आयोग को नोटिस जारी करके जवाब मांगा है. गौरतलब है कि गुजरात की 3 सीटों पर 8 अगस्त को होने वाले चुनावों में नोटा प्रयोग पर स्टे लगाने के लिए कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई थी जिसे आज कोर्ट ने खारिज कर दिया है. इसका मतलब यह है कि राज्यसभा चुनाव के लिए वोटिंग नोटा के विकल्प के साथ ही होगी.

इससे पहले, कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट के सामने दलील दी थी कि अगर नोटा पर स्टे नहीं दिया गया तो विधायकों के वोट दूसरे पक्ष के लोग खरीद लेंगे और उसके कैंडिडेंट्स चुनाव हार जाएंगे.कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि चुनाव आयोग ने राज्यसभा चुनाव में नोटा के इस्तेमाल से जुड़ा नोटिफिकेशन काफी पहले 2014 में जारी किया था, ऐसे में कांग्रेस को इसकी खामियां इस वक्त क्यों नजर आ रही हैं?

सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक, यह एक संवैधानिक मुद्दा है, जिसपर बहस की जरूरत है. कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा कि वह कांग्रेस की याचिका पर 2 हफ्ते में जवाब दे.उच्चतम न्यायालय ने कहा, आगामी राज्यसभा चुनाव, उनके परिणामों की घोषणा तय कार्यक्रम के अनुसार होगी, और गुजरात में कांग्रेस के मुख्य सचेतक एस.एम.परमार की याचिका पर निर्वाचन आयोग से जवाब मांगा. 

आपको बता दें कि गुजरात विधानसभा में कांग्रेस के मुख्य सचेतक (व्हिप) शैलेश मनुभाई परमार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई अपनी याचिका के जरिए विधानसभा सचिव द्वारा जारी एक परिपत्र को रद्द करने की मांग की है. परिपत्र में कहा गया है कि नोटा का विकल्प उच्च सदन के चुनावों में लागू किया जाएगा.

याचिका में आरोप लगाया गया है कि इस विकल्प का इस्तेमाल जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के प्रावधानों और चुनाव संचालन नियम, 1961 का उल्लंघन करेगा.इसमें दावा किया गया है कि अधिनियम और नियमों में कोई संबद्ध संशोधन किए बगैर नोटा पेश करने का चुनाव आयोग का कथित प्रशासनिक कार्य अवैध, मनमाना और दुर्भावनापूर्ण होगा.

Check Also

आरबीआई ने सभी क्रेडिट सूचना कंपनियों को दिया एक आंतरिक लोकपाल नियुक्त करने का निर्देश

आरबीआई ने सभी क्रेडिट सूचना कंपनियों को 1 अप्रैल, 2023 तक एक आंतरिक लोकपाल नियुक्त करने …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *