इलेक्शन कमीशन ने नेताओं को चुनौती दी है कि वो आएं और EVM हैक करके दिखाएं। बता दें कि दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और बाकी कुछ नेताओं ने पिछले महीने पांच राज्यों के असेंबली इलेक्शन के नतीजे आने के बाद EVM टेम्परिंग के आरोप लगाए थे। हालांकि, चुनाव आयोग ने इससे इनकार किया था।
न्यूज एजेंसी ने इलेक्शन कमीशन के एक ऑफिशियल सोर्स के हवाले से कहा- मई के पहले हफ्ते से 7 या 10 दिन तक एक्सपर्ट, साइंटिस्ट्स और टेक्नोक्रेट्स आकर ईवीएम को हैक करने की कोशिश कर सकते हैं।बता दें कि इलेक्शन कमीशन ने 2009 में भी ऐसा ही चैलेंज दिया था। बाद में कमीशन ने दावा किया था कि कोई भी ईवीएम को हैक नहीं कर पाया।
राज्यसभा में अपोजिशन लीडर गुलाम नबी आजाद ने बुधवार को कहा कि ईवीएम के मसले पर पूरा अपोजिशन एकजुट है। उन्होंने कहा कि इन मशीनों में कुछ तो गडबड़ है। संसद के बाहर मीडिया ने आजाद से कांग्रेस के ही सीनियर लीडर वीरप्पा मोइली के उस बयान पर रिएक्शन मांगा था जिसमें मोइली ने कहा था कि ईवीएम में कोई गड़बड़ नहीं है, और इन पर शक बेबुनियाद है।
मोइली के बयान को कांग्रेस ने उनका पर्सनल स्टेटमेंट करार दिया।केजरीवाल ने पिछले दिनों चुनाव आयोग को चैलेंज देते हुए कहा था- आप 72 घंटे के लिए ईवीएम हमे दें, हम बता देंगे कि इसे रीड और री-राइट कैसे किया जा सकता है।फरवरी-मार्च में पांच राज्यों में असेंबली इलेक्शन हुए थे। इनके नतीजे 11 मार्च को आए थे। यूपी में बीएसपी को सिर्फ 19 सीट मिली थीं। इसके बाद बीएसपी चीफ मायावती ने आरोप लगाया था कि ईवीएम की वजह से उनकी पार्टी हारी।
कांग्रेस के कुछ नेताओं ने भी ईवीएम की जगह बैलेट पेपर से वोटिंग की मांग की थी। हालांकि, इलेक्शन कमीशन ने हर बार ईवीएम हैक या टेम्पर किए जाने की खबरों को बेबुनियाद बताया।हैकिंग और टेम्परिंग के आरोप लगने के बाद इलेक्शन कमीशन ने कहा था ईवीएम को री-प्रोग्राम्ड नहीं किया जा सकता और ना किसी बाहरी डिवाइस से कंट्रोल किया जा सकता है। ये केवल एक बार वोट डालने के लिए डिजाइन की गई है।
मध्य प्रदेश की अटेर और बांधवगढ़ विधानसभा सीट पर 9 अप्रैल को बाइ-इलेक्शन हुए थे। इसके पहले इलेक्शन कमीशन ने भिंड में चेकिंग की थी।चेकिंग के दौरान VVPAT (वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल) के दो अलग-अलग बटन दबाने पर कमल का फूल प्रिंट हुआ था।कांग्रेस समेत दूसरे राजनीतिक दलों ने मामले पर उठाए सवाल थे।