उमर अब्दुल्ला ने गुजरे साल घाटी में अशांति के दौरान लापरवाह रुख अपनाने और हालात नियंत्रित करने के लिए गलत कदम उठाने पर जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती का इस्तीफा मांगा।उमर ने राज्य विधानसभा में कहा क्या हालात के लिए आप खुद को जिम्मेदारी पाती हैं? अगर इसके लिए कोई जिम्मेदार है तो वह आप हैं और आपकी सरकार है। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री अगर जिम्मेदारी लेने में अनिच्छुक हैं तो उन्हें पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है।
उन्होंने कहा अगर आप हालात के लिए जिम्मेदारी लेने में अनिच्छुक हैं तो आपको मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने का कोई अधिकार नहीं है। नेता को अपनी गलतियां स्वीकारनी होती हैं और उनसे सीखना होता है।’ उमर ने कहा कि जब बुरहान वानी सहित तीन चरमपंथियों के मारे जाने की खबर आई तो ‘हम अपने अनुभव के आधार पर समझ गए थे कि हालात अच्छे नहीं हैं।
उन्होंने कहा हैरानी की बात है कि जहां वानी को दफनाया गया वहां हालात कुल मिलाकर सामान्य थे लेकिन शेष घाटी जल रही थी। एक के बाद एक गलत कदम उठाए गए। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कोई शासन नहीं था और यही पता नहीं था कि हालात को श्रीनगर से संभाला जा रहा है या नयी दिल्ली से। अलग अलग लोग अलग अलग बयान दे रहे थे। ऐसे लोग बोल रहे थे जिनका हालात से कोई लेनादेना नहीं था।
उमर ने कहा सीआईडी के एडीजी ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि मुख्य मंत्री, जो गृह विभाग भी देख रही हैं, को मुठभेड़ के बारे में सूचना दी गई थी। हम यह जानना चाहते हैं कि मुख्यमंत्री को हालात के बारे में किस हद तक जानकारी थी और उसके बाद उन्होंने क्या कदम उठाए। उन्होंने कहा कि 8 जुलाई के बाद हालात बेकाबू हो गए लोग मारे गए और बहुत से लोग घायल हुए।
कुछ दिन के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि जिम्मेदारी तय की जाएगी अगर अधिक बल प्रयोग किया गया हो तो, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि अभिभावकों को अपने बच्चों पर नियंत्रण रखना चाहिए।उमर ने कहा हम जानते हैं कि एक खास उम्र के बाद बच्चों को संभालना मुश्किल होता है। लेकिन सरकार की जिम्मेदारी दूसरों पर डालना मुनासिब नहीं है। मैं जानता हूं कि जब सत्ता पक्ष से कोई जवाब आएगा तो वह 2008 और 2010 का हवाला देंगे। उन्होंने कहा आप 2008 और 2010 की तुलना 2016 से नहीं कर सकते।