इंदौर-पटना ट्रेन दुर्घटना में 116 से ज्यादा लोगों की मौत

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कानपुर के पास हुए भीषण ट्रेन हादसे में 116 यात्रियों की मौत हो गयी और 200 से ज्यादा लोग घायल हो गये.घायलों में से आधे से ज्यादा की हालत गंभीर बतायी जा रही है.कानपुर देहात जिले के पुखरायां में इंदौर-पटना एक्सप्रेस के 14 डिब्बे देर रात तीन बजे के आसपास अचानक पटरी से उतर गये. अनुमान है कि पटरी क्षतिग्रस्त थी. 

पटना जा रही यह ट्रेन तेज झटके के साथ रूकी और शयनयान श्रेणी के चार डिब्बे एस-1-2-3-4 बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए. इन डिब्बों में सैकड़ों की संख्या में लोग थे.इन चार डिब्बों में से एस-1 और एस-2 एक-दूसरे में घुस गए जबकि एस-3 और एस-4 भी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुए हैं. हादसे में इन्हीं डिब्बों से सबसे ज्यादा लोग हताहत हुए हैं.

हालांकि वातानुकुलित श्रेणी के एसी-3 का एक डिब्बा भी क्षतिग्रस्त हुआ है, लेकिन यहां हताहतों की संख्या अपेक्षाकृत कम है.सेना, एनडीआरएफ और राज्य पुलिस की मदद से रेलवे कर्मचारी खोज और बचाव अभियान चला रहे हैं. हालांकि समय बीतने के साथ-साथ हादसे में मरने वालों की संख्या भी बढ़ती जा रही है.

कानपुर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक जकी अहमद ने कहा कि शाम तक 116 शव निकाले गए हैं. उनमें से ज्यादातर को कानपुर देहात के मति अस्पताल के मुर्दाघर में रखवाया गया है.उन्होंने कहा कि बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुए डिब्बों में फंसे छह यात्रियों के भी मारे जाने की आशंका है.मृतकों में से 43 लोगों की पहचान हुई है. इनमें से 20 उत्तर प्रदेश, 15 मध्यप्रदेश, छह बिहार और महाराष्ट्र तथा गुजरात से एक-एक यात्री हैं.

अधिकारियों ने कहा कि पहचान के बाद 27 शवों का पोस्टमार्टम किया जा चुका है और उन्हें परिजनों को सौंपा जा रहा है. शवों को ले जाने के लिए परिजनों को एम्बुलेंस सेवा मुहैया करायी जा रही है.मृतकों में बिहार रोहतास से बीएसएफ कर्मी प्रभु नारायण सिंह, अनिल किशोर और उत्तर प्रदेश पुलिस के कांस्टेबल झांसी निवासी लखन सिंह शामिल हैं.

कानपुर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक जकी अहमद ने कहा कि हादसे में 76 यात्री गंभीर रूप से घायल हुए हैं. 150 अन्य यात्रियों को भी चोटें आयी हैं.उन्होंने कहा 150 से ज्यादा घायलों को आसपास के अस्पतालों में भर्ती कराया गया है. सभी अस्पतालों को तैयार रहने को कहा गया है. 30 से ज्यादा एम्बुलेंस को सेवा में लगाया गया है.

अधिकारियों का कहना है कि पहली नजर में हादसे का कारण पटरी का टूटा होना मालूम पड़ता है. रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा ने मौके पर संवाददाताओं से कहा, ऐसा लगता है कि हादसे की वजह टूटी पटरी है.उन्होंने कहा कि रेलवे बोर्ड के सदस्य (अभियांत्रिकी) हादसे के कारणों का पता लगाएंगे और इसके लिए जो भी जिम्मेदार होगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

अब भी कई लोगों के डिब्बों के मलबे में फंसे होने की आशंका है. उन्हें निकालने के लिए बचावकर्मी कोल्ड कटर का प्रयोग कर रहे हैं क्योंकि गैस कटर के इस्तेमाल से ज्यादा गर्मी निकलती है, जिससे दम घुटने और बचाव कार्य प्रभावित होने का खतरा है.अब तक डिब्बों से काफी लोगों को बाहर निकाल लिया गया है.

सेना के डॉक्टरों की टीम, रेलवे अधिकारी, एनडीआरएफ के कर्मी, राज्य पीएसी और अन्य पुलिसकर्मी राहत एवं बचाव कार्य में जुटे हुए हैं.राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, रेलवे मंत्री सुरेश प्रभु, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और विभिन्न अन्य नेताओं ने ट्रेन हादसे में लोगों की मृत्यु पर शोक जताया है.

अखिलेश यादव ने हादसे में मारे गए लोगों के परिजनों को पांच-पांच लाख रूपए, जबकि मोदी ने दो-दो लाख रूपए सहायता राशि देने की घोषणा की है. रेल मंत्री ने अपनी ओर से मृतकों के परिजनों को मिलने वाली मुआवजे की राशि को दो लाख रूपए से बढ़ाकर 3.5 लाख रूपए कर दिया है.

उत्तर प्रदेश सरकार ने गंभीर रूप से घायलों को 50-50 हजार रूपए और सामान्य चोटिल लोगों को 25-25 हजार रूपए देने की घोषणा की है.हादसे के बाद मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कानपुर शहर के अस्पतालों में भर्ती घायलों से मिले और मृतकों के परिजनों को दो-दो लाख रूपए जबकि घायलों को 50-50 हजार रूपए देने की घोषणा की.

रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने भी देर शाम अस्पताल में घायलों से भेंट की.अखिलेश यादव ने पुलिस महानिदेशक को पूरे राहत अभियान का व्यक्तिगत रूप से मुआयना करने का निर्देश दिया और आसपास यातायात पुलिस तैनात करने तथा सभी एम्बुलेंस जल्दी-से-जल्दी अस्पताल पहुंच सकें, इसके लिए सड़कें खाली रखने को कहा.

उन्होंने कहा, राहत अभियान में तेजी लाने के लिए ज्यादा संख्या में एम्बुलेंस और रोडवेज की बसें मौके पर रवाना की गयी हैं.महानिदेशक स्वास्थ्य और कानून-व्यवस्था के सहायक महानिदेशक भी राहत कार्यों की निगरानी के लिए मौके पर पहुंच गए हैं.उत्तर रेलवे के प्रवक्ता विजय कुमार ने बताया कि ट्रेन के प्रभावित यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने के लिए बसें भेजी गयी हैं.

उत्तर-मध्य रेलवे के महाप्रबंधक अरूण श्रीवास्तव ने कहा कि कानपुर-झांसी रेलमार्ग पर यातायात 36 घंटे में शुरू हो जाएगा. हादसे के बाद से चार ट्रेनें रद्द कर दी गयी हैं और 14 ट्रेनों का रास्ता बदल दिया गया है.दुर्घटना में जीवित बचे लोगों का एक सुर में कहा था हमने मौत को बेहद करीब से देखा.

एनडीआरएफ के महानिदे शक आरके प्रचंड ने बताया कि विशेष बचाव दल की पांच टीमें दुर्घटनास्थल पर भेजी गयी हैं. प्रत्येक टीम में 45 कर्मी हैं.मौके पर पहुंचे प्रचंड ने कहा बचाव टीमें कटर और हाईड्रोलिक उपकरणों का प्रयोग कर रही हैं ताकि ट्रेन के डिब्बों में फंसे हुए सभी यात्रियों को सुरक्षित बाहर निकाला जा सके.

उन्होंने कहा, चूंकि डिब्बों के भीतर लोग फंसे हुए हैं, इसलिए पूरी सावधानी और सतर्कता बरती जा रही है.एनडीआरएफ के कर्मचारी आपदा प्रबंधन के अत्याधुनिक उपकरणों और गैजेट की मदद से डिब्बों में फंसे यात्रियों को बाहर निकालने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं.बल ने अभी तक कम से कम 53 यात्रियों को बाहर निकाला है. इनमें से दो बच्चों सहित 16 लोग डिब्बों में बहुत बुरी तरह फंसे हुए थे.

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