पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की ओर से दायर मानहानि के मुकदमे में केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने एक स्थानीय अदालत में एक घंटे तक अपने बयान दर्ज कराए.मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा से 35 सवाल पूछे गए, जिनका उन्होंने हां या ना में उत्तर दिया. उमा के बयान दर्ज करने के बाद मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (सीजेएम) भूभास्कर यादव ने बचाव पक्ष की गवाही के लिए अगली सुनवाई एक दिसंबर तय कर दी.
इससे पहले मानहानि मुकदमे में निचली अदालत द्वारा जारी गिरफ्तारी वारंट को जिला अदालत ने 30 सितंबर को रोक लगा दी थी.भारती के वकील ने जिला अदालत का दरवाजा खटाखटाया था और कहा कि उमा की उपस्थित जरूरी नहीं है, इसलिए उनके बयान को उनके वकील के जरिए दर्ज किया जाए. उसके बाद अतिरिक्त जिला न्यायाधीश रामकुमार चौबे ने मजिस्ट्रेट अदालत द्वारा जारी किये गये वारंट पर रोक लगा दी थी.
फरवरी में तत्कालीन सीजेएम पंकज सिंह महेरी ने उमा भारती एवं दिग्विजय सिंह को इस मानहानि मामले को अदालत से बाहर आपस में सुलझा लेने के लिए कहा था, लेकिन ऐसा नहीं हो सका.गौरतलब है कि वर्ष 2003 के विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा नेता उमा भारती ने एक किताब जारी कर तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह पर 15,000 करोड़ रुपए के भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे.
इन आरोपों को लेकर दिग्विजय सिंह ने अदालत में उमा भारती के खिलाफ मानहानि को मुकदमा दायर किया था, जिसकी सुनवाई में आज उमा अदालत आई.बयान दर्ज कराने के बाद उमा ने अदालत परिसर में संवाददाताओं को बताया दिग्विजय ने मेरे खिलाफ बदला लेने की भावना से मुकदमा दायर किया है, क्योंकि मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने उनके नेतृत्व वाली कांग्रेस का सफाया कर दिया था और मैं मुख्यमंत्री बनी थीं.