सूर्य उपासना के महापर्व पर रविवार की शाम व्रती महिलाओं ने अस्ताचलगामी सूर्य को पहला अर्घ्य दिया, जिसके बाद सोमवार को भगवान भाष्कर के उदय पर अर्घ्य देने के साथ ही चार दिवसीय अनुष्ठान का समापन हो जाएगा. इसके पहले छठ पर व्रत रखने वाली महिलाओं ने शनिवार को खरना का व्रत रखा.
इसके बाद जलाशयों में स्नान करने के बाद वहीं से जल लेकर महिलाएं घर गईं. उसी जल में खीर बनाकर रोटी या पराठा के साथ व्रत धारण करने वाली महिलाओं ने रविवार को अस्ताचलगामी सूर्य को पहला अर्घ्य दिया.
पुत्रों के लिए व्रत रखने वाली महिलाएं रविवार को स्नान आदि करने के बाद नए परिधान ग्रहण की, जिसके बाद फल, फूल, मीठा, धूप, बत्ती, रोरी, रक्षा, गन्ना, सूप, आदि लेकर नदी, तालाब सहित अन्य जलाशयों के किनारे पर पहुंचीं. पानी में गन्ना गाड़कर अक्षत व फूल बिखेर कर घाट बांधने के बाद महिलाओं ने मिट्टी का जलता दीया जलाशय में प्रवाहित किया.
सूर्यास्त के बाद महिलाएं पूजन सामग्री लेकर घर चली गईं. वे सोमवार को तड़के आकर विधि-विधान से पूजा करके चार दिवसीय इस अनुष्ठान का समापन करेंगी और व्रत का तारण कर पुत्र सहित परिवार की सुख-समृद्धि के लिए कामना करेंगी. इस पर्व के बाबत देश के विभिन्न इलाकों में नदी और तालाब के घाटों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी.