मंत्री एम वेंकैया नायडू ने एनडीटीवी इंडिया पर एक दिन का प्रतिबंध लगाने को लेकर आलोचना करने वालों पर हमला करते हुये कहा कि देरी से हो रही आलोचना स्पष्ट रूप से एक विवाद पैदा करने के लिए आधी अधूरी सूचना और राजनीति से प्रेरित है.उन्होंने चेन्नई में संवाददाताओं से कहा कि इस साल जनवरी में पठानकोट में सुरक्षा बल के आतंकवाद विरोधी अभियानों का लाइव कवरेज करने के दौरान नियमों का उल्लंघन करने पर एनडीटीवी के खिलाफ प्रस्तावित कार्रवाई को लेकर देरी से हो रही आलोचना स्पष्ट रूप से आधी अधूरी सूचना और राजनीति से प्रेरित है.
वरिष्ठ मंत्री ने बताया तीन नवंबर 2016 को सरकार के निर्णय के सार्वजनिक होने के एक दिन बाद ऐसी प्रतिक्रियाएं सामने आयी जो स्पष्ट रूप से बिना बात विवाद पैदा करने की भावना से प्रेरित है.उन्होंने जोर देकर कहा कि लोगों को जानना चाहिए कि 2005-14 के दौरान सप्रंग सरकार ने 21 मामलों में कई टीवी चैनलों को बंद करने का आदेश दिया था. एक दिन से दो महीने की समयावधि के दौरान वयस्क प्रमाणपत्र वाली फिल्म दिखाये जाने वाले 13 मामले थे.
उन्होंने बताया कि एक स्टिंग ऑपरेशन दिखाने पर एक चैनल को 30 दिनों के लिए बंद कर दिया गया था.नायडू ने कहा देश के लोग काफी समझदार हैं और वे समझते हैं कि मध्यरात्रि में आपत्तिजनक दृश्यों को दिखाना और आतंकवादी विरोधी अभियानों का लाइव कवरेज करने के दौरान सुरक्षा कर्मियों और नागरिकों के जीवन को जोखिम में डालना. इन दो मामलों में से किस बात से देश की संप्रभुता, अखंडता और सुरक्षा सहित इसके हितों को गंभीर खतरा पहुंच सकता है.
मंत्री ने कहा कि एनडीटीवी इंडिया के संबंध में निर्णय किसी नये नियम या सिद्धांत के आधार पर नहीं लिया गया है.उन्होंने कहा 2008 में संप्रग सरकार द्वारा मुंबई में 26 11 आतंकी हमलों के बाद जो विभिन्न सलाहें जारी कीं थी उन्हीं के आधार पर एनडीटीवी इंडिया के खिलाफ कार्रवाई का प्रस्ताव किया गया है.वर्तमान मामले की तुलना आपातकाल से किये जाने को खारिज करते हुये नायडू ने कहा कि भाजपा के कई नेता और कार्यकर्ता आपातकाल के भुक्तभोगी रहे हैं इसलिए यह सोचना कि वे लोग लोगों और विशेषकर मीडिया की स्वतंत्रता को बाधित करेंगे, उचित नहीं होगा.
एडीटर्स गिल्ड द्वारा की जा रही आलोचना के जवाब में नायडू ने कहा कि एडीटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया एक जिम्मेदार संगठन है जिसने प्रतिक्रिया देने में एक पूरा दिन लिया. उसे समझना चाहिए कि केबल टेलीविजन नेटवर्कस (रेगुलेशन) एक्ट 1995 की धारा 20 की उपधारा (2) के तहत, केंद्र सरकार के लिए भारत की संप्रभुता, अखंडता और सुरक्षा के हित में किसी चैनल या कार्यक्रम का प्रसारण रोकना या नियमित करना जरूरी है.
साथ ही अपलिंकिंग गाइडलाइन्स के पैरा 8.1 के अनुसार उसके पास जनहित से असंबद्ध कोई आपत्तिजनक सामग्री के प्रसारण के लिए कार्रवाई करने का अधिकार है.उन्होंने कहा कि इसलिए सरकार को ऐसे मामलों में अदालतों में जाने की जरूरत नहीं है जैसा कि गिल्ड ने कहा है.नायडू ने कहा यह विचार मैं एडीटर्स गिल्ड के विवेक पर छोड़ता हूं कि क्या बताए गए कारणों के चलते एनडीटीवी इंडिया के खिलाफ किया गया फैसला सचमुच आपातकाल के काले दिनों की याद दिलाता है.
उन्होंने कहा कि हाल ही में एक संवाद के दौरान उन्होंने जोर दिया था कि मीडिया का प्रभावी स्व-नियमन उसकी स्वतंत्रता की रक्षा का सबसे अच्छा तरीका है और हम इसके लिए प्रतिबद्ध हैं.उन्होंने कहा मैंने यह भी कहा कि स्वतंत्रता तब बरकरार रहती है जब इसके मानकों का पूरी तरह सम्मान किया जाए. इस मामले में, एनडीटीवी इंडिया ने इसका सही उपयोग नहीं किया. मुझे इस बात पर खुशी है कि देश के लोग एनडीटीवी इंडिया के मामले में किए गए फैसले के साथ हैं.
आगे नायडू ने कहा कि ऐसे लोगों की संख्या हमेशा कम ही होगी जिनका देश के हित में सरकार द्वारा उठाए गए हर कदम के प्रति आलोचनात्मक रूख होता है. मंत्री ने यह भी कहा कि पूर्ववर्ती संप्रग सरकार द्वारा जारी किए गए कई परामर्शों में समाचार एवं सामयिक मामलों का प्रसारण करने वाले सभी टीवी चैनलों से आतंकवाद निरोधक अभियानों की रिपोर्टिंग करते हुए, ऐसे अभियानों में शामिल सुरक्षा बलों तथा नागरिकों की सुरक्षा एवं संरक्षा के व्यापक हित में संयम बरतने, परिपक्वता दिखाने और संवेदनशीलता का परिचय देने के लिए स्पष्ट रूप से कहा गया था.
उन्होंने कहा कि जारी उल्लंघनों पर चिंता व्यक्त करते हुए तत्कालीन संप्रग सरकार ने कहा था कि तय मानकों का उल्लंघन करने वाला कोई भी कवरेज देश के हितों के खिलाफ कवरेज माना जाएगा.नायडू ने कहा कि राजग सरकार ने भी ऐसे कुछ परामर्श जारी किए और तत्कालीन संप्रग सरकार की तरह ही उल्लंघनों को नोटिस किया जैसा कि गुरदासपुर आतंकी हमला मामले में हुआ.
उन्होंने कहा कि सरकार देश की संप्रभुता, अखंडता को बनाए रखने और सुरक्षा के लिए गहरे तक प्रतिबद्ध है, खास कर सीमा पार से आतंकवाद के संदर्भ में सरकार ने इस साल मार्च में एक राजपत्रित अधिसूचना जारी की जिसके अनुसार टीवी चैनलों को आतंकवाद निरोधक अभियानों के लाइव कवरेज को वृहद सुरक्षा हितों के मद्देनजर अधिकारियों के संवाददाता सम्मेलनों तक सीमित रखने की जरूरत है.
इस मामले में पाया गया कि एनडीटीवी इंडिया ने इस प्रावधान का उल्लंघन किया और उसे इसका पछतावा नहीं है. यह भी पाया गया कि इस चैनल ने पूर्व में इसी तरह के उल्लंघन किए हैं.इसे देखते हुए यह निर्णय उन सुरक्षा चिंताओं की परिणति है जो वर्ष 2008 को हुए मुंबई आतंकी हमलों के बाद से जताई गई हैं.