भोपाल की केंद्रीय जेल से भागे सिमी के 8 आतंकवादी पुलिस मुठभेड़ में मारे गए

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भोपाल की केन्द्रीय जेल से फरार हुए सिमी के आठ आतंकियों को कुछ घंटे के बाद ही मध्यप्रदेश पुलिस ने शहर के निकट मुठभेड़ में मार गिराया। पुलिस मुख्यालय द्वारा यहां जारी विज्ञप्ति के मुताबिक सिमी के आठ आतंकवादी शेख मेहबूब, अमजद, जाकिर हुसैन, मोहम्मद सलीक, माजिद, खालिद अहमद, अकील, शेख नजीब भोपाल की केन्द्रीय जेल से फरार हुये थे।

आतंकियों के फरार होने की सूचना प्राप्त होने पर पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के नेतृत्व में सर्च ऑपरेशन प्रारंभ किया गया। जिसमें भोपाल पुलिस एवं पुलिस की विशिष्ट इकाइयां भी शामिल थीं। पूरे प्रदेश की पुलिस ने तत्काल चेकिंग प्रारंभ की। सोशल मीडिया पर भी इसका व्यापक प्रचार-प्रसार फोटो सहित किया गया।

निरंतर सर्चिंग के दौरान थाना गुनगा जिला भोपाल अंतर्गत ईटखेड़ी ग्राम में मणिखेड़ा पठार के पास कुछ संदिग्ध व्यक्ति देखे गये और पुलिस से हुई मुठभेड़ में उपरोक्त आठों आतंकवादियों मारे गए। इसके बाद मौके पर पुलिस महानिदेशक रिषि शुक्ला सहित पुलिस के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी पहुंचे। घटना के तत्काल बाद राज्य सरकार ने फरार सिमी आतंकियों को पकड़ने के लिए पांच लाख रूपये के ईनाम का ऐलान भी किया।

राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि भोपाल केन्द्रीय जेल से आज तड़के सिमी के आठ आतंकियों के फरार होने और उसके बाद पुलिस मुठभेड़ में उनके मारे जाने की घटना की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) से कराई जायेगी।चौहान ने संवाददाताओं से कहा मेरी केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह से भी चर्चा हुई। क्योंकि आतंकवादियों के तार केवल प्रदेश में ही नहीं, प्रदेश के बाहर देश में ही नहीं बल्कि दुनिया में भी हैं, और यह केवल मध्यप्रदेश का मामला नहीं है।

इससे सहमत होते हुए केंद्रीय गृहमंत्री ने यह फैसला किया है कि इस घटना की जांच एनआईए करेगी ताकि इस घटना के पीछे और भी जो तथ्य और तार हों, उनको भी उजागर किया जा सके।पुलिस महानिरीक्षक योगेश चौधरी ने कहा कि फरार हुए सिमी सदस्यों के पास हथियार थे और उन्होंने चुनौती दिये जाने पर गोलीबारी शुरू कर दी, जिसके जवाब में पुलिस ने भी गोलीबारी की।

यह बयान गृहमंत्री के बयान से विरोधाभास वाला लगता है। भूपेंद्र सिंह ने कहा कि कैदियों ने सुरक्षाकर्मी पर हमला करने के लिए जेल से लाये गये चम्मचों और तश्तरियों का इस्तेमाल हथियार के रूप में किया। गृहमंत्री की बात से विरोधाभास रखने वाली टीवी फुटेज के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि यह एक मुठभेड़ थी और पुलिस के पास उन्हें मारने के अलावा कोई विकल्प नहीं था।

मीडिया से संक्षिप्त बातचीत में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि एनआईए इस घटना की जांच करेगी। हालांकि मुठभेड़ पर उठ रहे सवाल का जवाब देने से वह बचे। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार भी मामले में अलग जांच करेगी।घटना के तत्काल बाद राज्य पुलिस ने आठों सदस्यों के स्केच जारी किये थे और जेल अधीक्षक अखिलेश तोमर समेत चार अधिकारियों पर निलंबन की गाज गिराई। सरकार ने सभी सिमी सदस्यों के सिर पर 5-5 लाख रुपये का इनाम भी रखा था।

चौहान ने कहा हमने मध्य प्रदेश कारावास उप महानिरीक्षक, भोपाल केंद्रीय जेल के अधीक्षक, उपाधीक्षक और सहायक जेल अधीक्षक को निलंबित करने का फैसला किया है। विपक्षी कांग्रेस ने पुलिस महानिरीक्षक और गृहमंत्री के बयानों में विरोधाभास की ओर इशारा करते हुए मुठभेड़ की न्यायिक जांच की मांग की है।एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने उच्चतम न्यायालय की निगरानी में जांच की मांग की और मुठभेड़ पर सवाल खड़े किये।

ओवैसी ने कहा कि एनआईए की जांच काफी नहीं है और न्याय के हित में होगा कि शीर्ष अदालत की देखरेख में जांच का आदेश दिया जाए। उन्होंने मालेगांव विस्फोट मामले का जिक्र करते हुए एनआईए की विश्वसनीयता पर संदेह प्रकट किया।मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेता बादल सरोज ने बयान में कहा कि भोपाल की एक अति-सुरक्षित जेल से कथित रूप से सिमी से जुड़े आठ विचाराधीन मुजरिमों के फरार हो जाने, उसके बाद उनके एक साथ टहलते हुए अचारपुरा के जंगल में मिलने और ‘मुठभेड़’ में मारे जाने की घटना एक अत्यंत फूहड़ तरीके से गढ़ी गयी कहानी है।

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